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आओं स्वस्थ्य बनाए

सुनसान राहें पंछियों का कोलाहल दुबके इंसान घरों में मुंडेर पर बोलता कौआ अब मेहमान नही आता संकेत लग रहे हो जैसे मानों भ्रम जाल में हो फंसे। नही बंधे झूले सावन में पेड़ों पर उन्मुक्त जीवन बंधन हुआ अलग अलग हुए अनमने से विचार बाहर जाने से पहले टंगे मन में भय से विचार।…

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राजस्थान में गहलोत का वार , सचिन पायलट का पलटवार !

राजस्थान के मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने सीधे तौर पर सचिन पायलट को निकम्मा कह कर राजस्थान कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है । कुछ दिन पहले ही राजस्थान की सियासत में एक अनोखा मोड़ आया जब स्पीकर ने पायलट खेमे को कानूनी नोटिस भेज कर उनकी सदस्यता रद्द करने की बात कही और उनसे जवाब…

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जीवन

एक जमाना बीता-सा लगने लगा है। यह समंदर रीता-सा लगने लगा है।। मुझको हर पल हारना लगाता अब अच्छा। यह जहां जीता-सा लगने लगा है।। हरपल देती अग्निपरीक्षा, सत्य की मैं। अब यह जीवन सीता-सा  लगने लगा है।। जो भी आया कुछ सिखाने के सबब से। हर कोई उपदेश गीता-सा  लगने लगा है।। टेढ़े-मेढ़े जिंदगी…

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चीन का राक्षस कोविद -19

मार्टिन उमेद , देहरादून (उत्तराखंड) चीन का राक्षस कोविद -19 कोरोना वायरस संक्रमण अब आज के हालत बढ़ते जा रहे है ! जिस कारण समस्त जगत व स्वयं भारत भी परेशान है ! जैसे की आप सभी को ज्ञात होगा की कोरोना वायरस की अभी तक देश विदेश में कहीं भी कोई दवाई या इंजेक्शन…

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गुरूकुल

श्रीमती कविता मल्होत्रा दोस्तों मित्रता दिवस की रस्म हम यूँ निभा लेते हैं निस्वार्थ प्रेम बनकर निस्वार्थता को मित्र बना लेते हैं अपने घरौंदों की जड़ें दिमाग़ में न बनाकर दिलों में बनाई जाएँ तो हर एक घर ही मंदिर हो जाए !! दिलों को अपनी ख्वाहिशों की सियासत नहीं बल्कि जीवन के परम उद्देश्य…

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हे राम !

हे राम! तुम आ जाओ ना । त्रेता से कलि है विषम बहुत, आकर मुक्त कराओ ना । बन्धन मे पड़ी लाखों सीताएँ , रावण से कहीं दुस्साहस वाले रावण । अब तो खड़े निज देश में , असंख्य राक्षस छिपे नर वेश में । हे राम ! तुम आ जाओ ना । पड़ने न…

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समंदर

बहुत दूर, वो जगह जहाँ तुम, बच सको चले जाना, अकेले ही ख्वाहिशों को कहीं दूर छोड़ देना जैसे स्कूलों में प्रवेश लेकर छोड़ देते हो तुम पढ़ाई को और ध्यान रहे तुम्हें इस बात का के सुबह की ओस की बूंदों की तरह सुकून दे सको किसी की आँख को ठंडक दे सको किसी…

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विधाता की सुंदर रचना

तुम आज इस तरह खामोश हो, युँ उदासी का लिबास चेहरे पर क्यों डाले जाती हो भावनाओं को आहत मत होने दो उन्हें सुलगाओ नया लक्ष्य दो विकट परिस्थितियाँ बहुत आएँगी पग -पग पर पांव डगमगाऐगे तुम मत ठहरना ध्येय अटल साधे रखना माना की तुम स्त्री हो, क्यों तुम्हारा स्त्री होना कभी -कभी समाज…

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” सेवाराम”

अर्चना त्यागी (जोधपुर , राजस्थान ) अपने गांव गए हुए दो साल से अधिक समय हो चुका था। काम की व्यस्तता के चलते जा ही नहीं पा रहा था। रह रह कर गांव की पगडंडी जैसे पुकार रही थी मुझे। आम के बाग, खेत खलिहान सभी जैसे आवाज लगा रहे थे। घर से बहुत दूर…

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बातों से कब बात बनी है….(सम्पादकीय) मनमोहन शर्मा ‘शरण’

अगस्त माह में अनेक त्यौहार–पर्व हैं जिनके द्वारा सांस्कृतिक, संस्कारिक, आ/यात्मिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों को समझने का अवसर मिलता है ।रक्षा–बंधन, जहां भाई–बहन के प्यार–विश्वास और संकल्प की खुश्बू आती है तो वहीं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आ/यात्मिक चिंतन का महापर्व आएगा जिसमें जीवन जीने की कला हम जानते हैं । 15 अगस्त राष्ट्रीय चिंतन एवं देशभक्ति…

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