बिन बेटी सब सून !
जीवन में आनंद का, बेटी मंतर मूल ! इसे गर्भ में मारकर, कर ना देना भूल !! बेटी कम मत आंकिये, गहरे इसके अर्थ ! कहीं लगे बेटी बिना, तुझे सृष्टि व्यर्थ !! बेटी होती प्रेम की, सागर सदा अथाह ! मूरत होती मात की, इसको मिले पनाह !! छोटी-मोटी बात को, कभी न देती…