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विदा दो दिल्ली (सुमनमाला ठाकुर)

(राज्य सभा डाइरेक्टर, अंग्रेज़ी की प्रोफ़ेसर, सुमनमाला ठाकुर, के दिल्ली शहर के आख़िरी कुछ पलों की अभिव्यक्ति, तमाम दिल्ली वसियों के नाम) तीन दशको से ज़्यादा मेरे आसपास, हरदम मंडरातीरही हो, तुम दिल्ली। मेरी सुबहों की रोज़ाना-रूटीन हर दिन, और शामों की वो गुनगुनाती थकन, फिर भी थे आँखों में सपने हज़ारों, और संग मेरे…

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खूब लड़ी ‘दीदी’ वह तो …..(सम्पादकीय)

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक) होली भी गई और जिस बात की आशंका भी वह भी हो ली । कोरोना ने एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखाना प्रारंभ कर दिया है । जबकि लोगों ने लगातार गिरते आंकड़ों को देखकर–सुनकर मानों निश्चित होना प्रारंभ कर दिया था कि शायद हम कोरोना से मुक्त…

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“भव्य रंग महोत्सव -1 का सफल आयोजन

27 मार्च 2021 -शनिवार ” विश्व रंग मंच दिवस” के अवसर पर शादी पुर – रंजीत नगर,नई दिल्ली के “सफ़दर स्टूडियो” में “भव्य कल्चरल सोसाइटी” के सौजन्य से” भव्य रंग महोत्सव-१” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ हर्षित के मधुर स्वरों में गिटार के साथ गणेश वंदना के साथ किया गया। उसके बाद तीन…

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रंगों में उल्लास (होली पर दोहे)

“रंगों “में सद्भावना“रंगों “में मुस्कान ।रंग; देव लोक कासृष्टि को वरदान ।।*रंगों में उल्लास छिपाऔर गुंथा है प्यार।रंग पिरोय फूल हैंजो फूलों का हार ।।*रंगों में अनुराग भरारंगो में विश्वास।रंग दिलों के पास काएक पावन एहसास ।।*रंगों में इस धरा कीसौंधी-सौंधी गंध।रंग हृदय से देखतेकरके आंखें बंद।।*रंगो में वो मीठा पनमुख में ज्यो मकरंद ।जो…

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पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती जी का इन्द्रपार्क पालम में आगमन

आज 26 मार्च , देव मानव सेवा ट्रस्ट इन्द्रा पार्क पालम के प्रांगण को प्रयाग पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने चरणों से शुद्ध कर दिया बहुत ही सुन्दर प्रवचन सुनने को मिले बहुत ही शिक्षाप्रद विचारों का प्रदान किया, संस्था विशेष रूप से पूर्व पार्षद मेरे बड़े भाई श्री अनिल…

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मैं फिर लौट आऊंगी

मैं फिर लौट आऊंगीधूप के उजास सीकि करूंगी ढेरों मन भर बातेंउस जाती हुई ओस से भीजिसके हिस्से में आती हैं सिर्फ रातें ही !! मैं फिर लौट आऊंगीपहली बारिश सीकि सिमट जाऊंगी मिट्टी मेंऔर होती रहूंगी तृप्तउसकी सोंधी-सोंधी सी महक में !! मैं फिर लौट आऊंगीटूटे हुए तारे सीकि सुन लूंगी हर एक दुआहर…

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होली गीत

रंग जितने हो बेशक लगाया करो।चाहे जितना मुझे तुम सताया करो।।रोज खेलो भले मुझसे होली मगर।सामने सबके रंग न लगाया करो।। इस होली में घर तेरे आऊँ प्रिये।गोरे गालों पे, रंग मैं लगाऊँ प्रिये।।चाहे लहंगा और चुनरी पहिनना पड़े।चाहे तेरी सखी मुझको बनना पड़े।।सब करूँगा सनम मैं तुम्हारे लिए।इस तरह न मुझे आजमाया करो।। भंग…

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नौकरी ही नहीं तो शिक्षक पात्रता परीक्षा के नाम पर ठगी क्यों ?

(   हरियाणा के मुख्यमंत्री का विधान सभा में जवाब कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की अब जरूरत नहीं कितना शातिराना है सोचिये? जब प्रदेश में शिक्षकों की जरूरत ही नहीं तो फिर क्यों पिछले दस सालों से शिक्षक पात्रता के नाम पर बार-बार बेरोजगार युवाओं की जेब काटी जाती रही इनको तो सब पता ही…

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मैं फकीर वो बादशाह

मैं फकीर हूँ सामने तेरेतू जगत का बादशाह है। मैं फकीर वो बादशाह हैसिजदे में सिर झुका मेरा।सबकुछ तो तेरा ही दियाजो भी यहाँ सब कुछ तेरा।सब फकीर हैं तेरे सामनेतू जगत का बादशाह है। तेरी रहमतें बरसें सभी परखुशहाली दिखे हर कहीं।तू दूर कर दे गम सभी केउदासियाँ दिखें कहीं नहीं।तेरी कृपा मिल जाये…

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नारी व्यथा

मेरे हिस्से की धूप तब खिली ना थीमैं भोर बेला से व्यवस्था में उलझी थीहर दिन सुनती एक जुमला जुरूरी सा‘कुछ करती क्यूं नहीं तुम’ कभी सब के लिए फुलके गर्म नरम की वेदी पर कसे जातेशीशु देखभाल को भी वक्त दिये जातेघर परिवार की सुख सुविधा सर्वोपरीहाट बाजार की भी जिम्मेदारी पूरी तंग आ…

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