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यादे यूँ भी पुरानी चली आईं (गीत)

मन की बाते बताये तुम्हें क्याहै ये पहली मुहब्बत हमारीभले दिन थे वो गुजरे जमानेमीठी मीठी सी अग्न लगाई हम तो डरते हैं नजदीक आकेजान ले लो – ऐ जान हमारीकब से बैठे दबाये लबो कोकब से यारी है गम से हमारी चढगयी सर आसमाँ तकये नशीली रात खुमारीबजते घुघरू से आवाज आईदेखो कैसी चली…

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काव्य लेखन की कुंजी है “छंद विन्यास’ काव्य रूप : राजेश कुमार सिन्हा

एक ख्याति लब्ध शल्य चिकित्सक का कवितायें लिखना या दूसरे शब्दों में कहें तो सिर्फ कवितायें नहीं लिखना बल्कि छन्द पर आधारित कवितायें लिखने के लिए काव्य लेखन कुंजी के रुप में एक पुस्तक लिख देने को सही मायने में मणि कांचन संयोग कहा जा सकता है,जो विरले ही देखने को मिलता है।डा संजीव कुमार…

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