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शीर्षक (संवाद )

एक दिन एक शेर शेरनी से बोला ओ भगवान क्या है हमारे समाज का हाल मैंने सुना है कल ही एक शेर ने दूसरे शेर की खींची थी खाल यह बात आज तक मुझको समझ नहीं आ रही है क्यों हम जानवरों को इंसानों की लत लगती जा रही है आज इंसान इंसान का गला…

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सरकार के गलें की फांस ना बन जाए बेरोजगारी !

वर्तमान समय में केंद्र सरकार महंगाई , बढ़ते पेट्रो कीमतों और गिरती अर्थव्यवस्था पर जनता की आलोचना झेल रही । केंद्र सरकार ने जिस हिंदुत्व के मुद्दों पर बंगाल चुनाव अभियान शुरू किया था उस वहा की जनता ने नकार दिया क्युकी मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ और महंगाई के मार से दबा आम…

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एक थी सुमन… (स्टबर्न बट काइंड, लविंग बट फ़ेयर)

(राजसभा डाइरेक्टर, अंग्रेज़ी की प्रोफेसर, अप्रैल 4, 1956-जून 27-2020) बिहार भागलपुर के एक छोटे से गाँव कमलपुर में पैदा हुई सुमन माला ठाकुर , मध्यमवर्गीय एक आम परिवार में ४ एप्रिल १९५६ में पैदा हुई जहां नातो पैसा था ना ही लड़कियों के लिए शिक्षा का महत्व। ऐसे में सुमन के दादा बिंदेश्वरी प्रसाद ठाकुर…

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परिवार के वट वृक्ष – पिता

पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती है। यह सत्य है कि हमेशा माँ के बारे में ही लिखा जाता है । हर जगह माँ को ही स्थान दिया जाता है पर हमारे…

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पर्यावरण संरक्षण में जनभागिदारी जरुरी – लाल बिहारी लाल

जब इस श्रृष्टि का निर्माण हुआ तो इसे संचालित करने के लिए जीवों एवं निर्जीवों का एक सामंजस्य  स्थापित करने के लिए जीवों एवं निर्जीवोके बीच एक परस्पर संबंध का रुप प्रकृति ने दिया जो कलान्तर मे पर्यावरण कहलाया।जीवों के दैनिक जीवन को संचालित करने के लिए  उष्मा रुपी उर्जा की जरुरत होती है। और…

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कुर्सी की लालसा में सियासी हलचल

राजनीतिक सफरनामा                      (कुशलेन्द्र श्रीवास्तव) देश के कई राज्यों में हलचल है । यह हलचल कुर्सी के लिए है । समाजसेवा का लबादा ओढ़कर सत्ता के रसगुल्ले खाने की लालच से ग्रसित कतिपय लोगों ने लोकतंत्र को मजाक बनाकर रख दिया है । पश्चिम बंगाल में मुकुन्द राय ने टीएमसी के सत्ता पर काबिज होते ही पाला…

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बाज़ी तेरे इश्क़ की

कविता मल्होत्रा (स्थायी स्तंभकार, उत्कर्ष मेल) जीत ही लेंगे बाज़ी हम तुम, ये खेल अधूरा छूटे न प्रेम का बंधन,जन्म का बँधन,हाथ कोई भी छूटे न ✍️ मानसून की दस्तक मौसमी हवाओं के आगमन का पैग़ाम तो लाई है लेकिन अब के बरस सावन की बूँदें मिट्टी को वो खुश्बू नहीं दे पाईं जिनसे हर…

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On this International Yoga Day

Spirituality and YOGA are T​he secret of ‘soul’ satisfaction With our profound devotion, ​A​nd total self determination. Achievements of life, lie in the real renunciation, Miraculous approach through regular meditation, Ideally it is the best training ​F​or the life’s perfection. Prayers and Prayanayam are ​The paths to Almighty, And accepting and appreciating His unlimited Authority,…

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जलजला आता है निशां छोड़ जाता है (सम्पादकीय)

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक) बहुत दिनों के बाद फिर से सुनने को मिला है कि ‘कोरोना’ संक्रमण की गति धीमी  हुई है और संक्रमितों की संख्या में काफी कमी देखी गई है । प्रतिदिन लाखों में संक्रमितों की संख्या अब 50–60 हजार के आसपास आ रही है । किन्तु फिर एक बार हम सबको…

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राम प्रसाद बिस्मिल

(11 जून, 1897 से 19 दिसंबर, 1927) प्रारंभिक जीवन :- राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री मुरलीधर और माता का नाम श्रीमती मूलमती था। जब राम प्रसाद सात वर्ष के हुए तब पिता पंडित मुरलीधर घर पर ही उन्हें…

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