अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच द्वारा विश्व के सबसे बड़े वर्चुअल आनलाइन भारत को जाने कार्यक्रम में शिखा पोरवाल वैकुंवर कनाडा से संचालन करेंगीं। डाँ शिल्पा शिप्री जी भी उनके साथ संचालन की बागडोर सम्हालेंगी। विश्व के श्रेष्ठतम कवि संचालकों को संचालन का दायित्व सौंपा गया हैं।कार्यक्रम का संयोजन डॉ. ममता […]
Month: October 2021
अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगम द्वारा अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन
देश से बँधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त करने के लिए 1975 में 24 अक्टूबर को ही एक अध्यादेश लाया गया था एवं 24 अक्टूबर को ही उर्दू की मशहूर लेखिका इस्मत चुगताई एवं कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित मन्ना डे की पुण्य तिथि भी है। इस तरह […]
शिल्पी चड्डा स्मृति सम्मान, 2021- परिणामों की घोषणा
सविता चड्डा जन सेवा समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 दिसंबर को दिए जाने वाले चार पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। शिल्पी चड्डा स्मृति सम्मान : डॉ. मंजु रूस्तगी, चेन्नई हीरो में हीरा सम्मान: श्री ओम प्रकाश प्रजापति, ट्रू मीडिया, दिल्ली गीतकारश्री सम्मान : डॉ. मधु चतुर्वेदी,गजरौला साहित्यकार सम्मान […]
गहन मंथन और अध्ययन के बाद का सत्य !
यदि कुछ ऐतिहासिक प्रसंगों पर नजर डाले तो पुरातन समय में बहुत सारी घटनाएं ऐसी है जिसके विषय में चिंतन , मंथन और गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है । जिसके बाद ये पता लगता कि काश यह ना होता तो इतिहास दूसरा होता । ऐसे ही कुछ प्रमुख घटनाओं […]
चीन को जवाब
गिरगिट सा रंग बदलने लगा है कोई, हाथ मिला कर मुकर जाता है कोई दोस्ती मे हमारी नहीं है ऐसी फितरत हर बार दोस्ती मे गद्दारी करता है कोई ये मत सोच लेना की कोरोना वायरस बनाकर तुमने दुनियाँ मे धाक जमाई है ! अभी तक तुमको मिला नहीं बाप […]
समरथ को नहीं दोष गुसांई
कुशलेन्द्र श्रीवास्तव रावण की ऊंचाई और बढ़ा दी गई है । रावण तो हर साल ऊंचा होता जा रहा है, उसे जितना भी ऊंचा हम बनाते जा रहे हैं उतना ही रावणीय कृत्य भी बढ़ता जा रहा है । हम तो रावण के पुतले का दहन इस विचार के […]
रहे इस रूह की चूनर धानी
मौसम ने करवट ली और शीत ऋतु ने आगमन की सूचना दी है।लेकिन भानु काका के तेवर अब भी तीखे हैं।ग्लोबल वार्मिंग की ज़िम्मेदारी लेने के बजाय मानव जाति अब भी बदन उघाड़ू परिधानों के फ़ेवर में है।समस्या के मूल में न जाकर सतही समाधान खोजना और लापरवाही से संतुष्ट […]
संकीर्ण सोच से सजी व्यवस्था में
डॉक्टर सुधीर सिंह संकीर्ण सोच से सजी व्यवस्था में, इंसान से ज्यादा शैतान ही है यहां। कुछ व्यक्ति कहे तो कोई बात नहीं, यह तो यहां के समूह का है कहना। प्रश्न की गंभीरता ने जोर देकर कहा, जरा इस सच्चाई का पता तो लगा। गौर से देखा तब घर-घर […]