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सम्पादकीय : मनमोहन शरण ‘शरण’

‘उत्कर्ष मेल’ के सभी पाठकों को नववर्ष 2022 की शुभकामना देता हूँ और प्रभु के श्रीचरणों में निवेदन करता हूँ कि सभी देशवासियों को मन–बुद्धि–कौशल से दृढ़तापूर्वक संकल्प के साथ कार्य करने की शक्ति दें । सभी स्वस्थ रहें, सुखी हों ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें ।नव वर्ष का उत्साह एक तरफ है और कोरोना के…

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नए वर्ष 2022 से आपकी कितनी उम्मीदें और क्यों ?

महामारी की चपेट में जूझ रहे पूरे विश्व को विगत दो वर्षो से दैनिक लाइफ स्टाइल में काफी उठा पटक देखने को मिली । वर्तमान परिवेश में नए आंग्ल वर्ष का आगमन सबके लिए कम उत्साहजनक,  अधिक  चिंताजनक और अतीत के डर से  ज्यादा सचेत  हो सकता है । हर वर्ष एक वर्ष जाता है,…

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हाइकु माला

नवीन वर्ष घी, शकर, चूरमा मां का आंगन उन्मन मन ठिठुरता बदन ठंडा है चूल्हा सिकुड़ती मां आंचल में संतान स्नेह उड़ेले बीता बरस खोजता प्रतिपल खुशी के पल देव समाज प्यार भरा आंगन भरे उमंग नवीन वर्ष विद्यालयों का द्वार न रहे बंद बांह पसारे करो शुभ-आरंभ नवीन वर्ष… 2022 डॉ. नीरू मोहन ‘…

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आशंकाओं के भंवरजाल में नव वर्ष का उत्सव

इस एक जनवरी को उदित हुए सूरज के लाल रंग में उच्छवास नहीं है । घर की दीेवाल पर टंगें नए कैलेण्डर की चमक में भी आकर्षण नहीं है । शेष बचे पेड़ों की शाखाओं पर चिड़ियां तो चहक रहीं हैं पर इन पक्षियों की चहक मंे भी उत्साह नहीं सुनाई दे रहा है ।…

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बनें रब का सेवादार

कविता मल्होत्रा (संरक्षक, स्तंभकार) “माता-पिता केवल शब्द नहीं ये जीवन का हैं सार ईश्वरीय श्रवण कुमार वही जो सृष्टि का सेवादार” शिक्षा के क्षेत्र में अनेक प्रकार की संभावनाएँ होती हैं जो किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को तराश कर एक सुघड़ आकार देतीं हैं।हर व्यक्ति की पसंद अलग होती है।अपनी पसंद के अनुसार हर…

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जीवन पथ

अरे जीवन पथ के पथिक विश्राम कर ले तनिक कहां भागा जा रहा अंधी दौड़ प्रतियोगिता तूने ही तो मारी अपने पांव कुल्हाड़ी मालूम तो था न जीवन है चार दिना ईट पत्थर से बनाए पहाड़ हरी-भरी वसुधा उजाड़ क्यों फैलाया आडंबर वनों को काटकर लुप्त चील गिद्धों के परिवार मृत पशु था उनकाआहार चूस…

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नये साल में सबलोग दृढ़-संकल्प लें

डॉक्टर सुधीर सिंह साल बीत जाते ही नया सालआता है, आइए!उसका हार्दिकअभिनंदन करें। भूल जाएं हम बीते वर्ष का सारा गम, नव वर्ष  में मिलजुलकर जश्न मनाएं। परिवर्तन प्रकृति का  शाश्वत नियम है, समस्त संसार उसकी डोरी से बंधा है। नए साल  में सबलोग  दृढ़-संकल्प लें, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’, लक्ष्य हमारा है। हर घर में…

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हौसले

अड़चने हों हजारों राह में तेरे साथी हौसलों को कभी कम नहीं होने देना। काटकर गिरि को राहें बनाई हैं तुमने बाँध सागर को जग को दिखाया कभी। चाँद मंगल की सरहद भी लांघा तुमने गहराई पयोधर की भी है नापा सभी। देव दानव सभी करते तेरी ही बड़ाई दुष्करों से आँखें नम तू नहीं…

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लाल बहादुर शास्त्री

(जन्म 02 अक्टूबर, 1904 एवं निधन 10 जनवरी, 1966) प्रारंभिक जीवन :- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 02 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद और माँ रामदुलारी देवी थीं। लाल बहादुर का उपनाम श्रीवास्तव था पर उन्होंने इसे बदल दिया क्योंकि वह अपनी जाति को अंकित करना…

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‘सर्दी के दिनों में’ (कविता)

दिन छोटे, रातें लम्बी सूरज की रोशनी का कोई भरोसा नहीं, सर्द हवाओं के बीच कभी दिन में अँधेरा, तो कभी रोशनी। मौसम की इस आँख मिचौली में सर्दी के दिनों में सूरज धुँधले आसमां के किसी कोने से कभी झाँकता है सिर उठाकर, तो कभी छिप जाता है बादलों की आड़ में। ऋतु भी…

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