हिंदी लाओ देश बचाओ समारोह 2022 का शुभारंभ प्रातः देशभर के सहित्यकारों व विद्यालयी छात्र-छात्राओं की नगर परिक्रमा से हुआ। हाठों में पट्टिकाएं लिए बेंड बाजों की मधुर ध्वनि के साथ गगनभेदी उद्घोषों से माँ हिंदी का महिमा गान किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जनार्दन रॉय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति […]
Month: September 2022
राष्ट्र गौरव को द्विगुणित करता वैदिक और वैज्ञानिक शिक्षा का स्वरूप।
(राष्ट्र निर्माण में वैदिक शिक्षा ,ज्ञान की समीचीन भूमिका) भारत में प्रागैतिहासिक वैदिक तथा सनातनी शिक्षा तथा ज्ञान का स्वरूप बड़ा ही विस्तृत है। भारत को भारतवर्ष भी आदिकाल की सांस्कृतिक शिक्षा और विशाल ज्ञान के भरपूर स्रोतों के कारण ही कहा जाता रहा है। भारत के ऋषि, मुनि, गौतम […]
गायों की हो रही है दुर्दशा
भारतीय संस्कृति में जिस गाय को ‘मां’ की संज्ञा दी गई है, उसका ऐसा हश्र लम्पी बीमारी से पहले कभी नहीं हुआ। गायों की दुर्दशा को लेकर अब सिर्फ जिनके घर गाय है वो ही चिंतित हैं। क्या गाय बचाने की जिम्मेवारी सिर्फ पशुपालन विभाग की ही बनती है, बाकी […]
राष्ट्रभाषा हिंदी के आगे आज भी नतमस्तक है समाज ..!
हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा की सार्थकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अधिकतर कालजई रचनाएं हिंदी भाषा में ही उद्धृत है । हिंदी हमारी राजभाषा है अर्थात राज्य के कामकाज में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है। अंग्रेजों से स्वतंत्र होने के बाद […]
शिकायत समोसे वाले की
राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव एक आम व्यक्ति ने एक समोसे वाले की शिकायत सी.एम. हेल्पलाइन पर कर दी ‘‘बताइए साहब ये समोसे वाला समोसे घर ले जाने के लिए पैकेट में तो समोसे रख देता है पर उसके साथ प्लेट नहीं देता हम समोसों को खायेंगें कैसे ? जबकि […]
पावन शिक्षक दिवस पर समर्पित चंद शब्द-पुष्प:
कृष्णजैसा सारथी जब अर्जुन को मिला, युद्धभूमि में तब गीता का उद्घोष हुआ. तब एकआज्ञाकारी शिष्य सा था कुंतीपुत्र, गुरु के रूप में देवकीनंदनको आना पड़ा. अन्याय,अत्याचार और भयंकर भ्रष्टाचार; जब भी समाज में निर्बाधबढ़ने लगता है. गिरिधारी सा गुरु और पार्थ साविद्यार्थी, काल के कोख सेतबतुरंतपैदा होता है. बिगड़ती […]
संविधान संशोधन का क्या फायदा जब कानून बनाने वाले अयोग्य और स्वार्थ से भरे हों।।
समावेशी नेतृत्व का अर्थ बड़ा ही व्यापक और संधर्ष करने वाला होता है, जो संयम, धैर्य सहनशीलता के साथ सबको समान भावना के साथ समावेश कर आगे बढ़ने को प्रेरित करे।जो खुद की नहीं अपितु अपने संगठन अपने लोगो के आगे बढाने की सोच रखे वही नेतृत्व कहलाता है। सभी […]
भारत के सांस्कृतिक पुनरूत्थान के विश्वकर्मा हैं नरेन्द्र मोदी
यह सुखद संयोग है कि आज देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा जी व राष्ट्रशिल्पी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन एक साथ है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में अपने संबोधन में कहा था कि हुनरमंद ही आज के युग के विश्वकर्मा हैं। प्रधानमंत्री स्वयं भी इसी दायरे में […]
पंच से पक्षकार
हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे वाली अपनी पैतृक जमीन पर दुकान बनाने का सोचा, ताकि उससे जो आय हो उससे उनका जीवन सुचारू रूप से चल सके। दुकान का […]