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व्यंग्य – जात न पूछिए नेता की…!

जीवन में कोई कब कोई नेता किस धर्म जाति संप्रदाय का हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता । आजकल के ट्रेंड में हर संप्रदाय का अपना रूल रेगुलेशन है  । किसी को डॉगगिरी पसंद है तो किसी को घाघगिरी । अपने पलटूराम भैया को ही ले लीजिए ताजा ताजा मीम समर्थक बने थे और…

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संपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण’ होंगे सम्मानित

हिन्दी की विश्व-प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था साहित्य-मंडल श्रीनाथद्वारा, राजस्थान के त्रिदवसीय (14 -16 सितम्बर 2022) राष्ट्रीय आयोजन में “उत्कर्ष मेल” (पाक्षिक पत्र) के सम्पादक श्री मनमोहन शर्मा ‘शरण’ को “सम्पादक रत्न” सम्मान  प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है। शर्मा जी उत्कर्ष मेल पाक्षिक पत्र का सम्पादन 12 वर्षों से नयी दिल्ली से नियमित  रूप…

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डी. एम. का चश्मा

राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश में बंदर डी.एम. साहब का चश्मा लेकर भाग गया । बंदर नहीं जानता डी. एम. साहब के रूतबे को । उसे तो सारे मानुष एक जैसे ही नजर आते हैं । उसने डी. एम. साहब का चश्मा देखा और छीन कर भाग गया । हो सकता है कि…

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हिन्दी

    हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा     इसकी तो शान निराली है।     होड़ नहीं कर सकता कोई     अमृत की मानों प्याली है।     अजर अमर  इसकी रचनाएँ     रामचरित सा ग्रंथ यहाँ है ।     प्रेमचंद की रचनाएँ देखो     प्रियवर हैं वे जहाँ जहाँ हैं।     फिल्में इसकी मोहित करतीं     मिलती सर्वाधिक…

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हिन्दी और नागरी लिपि

हिन्दी     का    परचम     लहराएं!                        नागरी लिपि    का    मान  बढ़ाएं!! हम  हिन्दी दिवस-  मनाते   हैं  भारत   में    प्रतिवर्ष, उत्साहित-उल्लसित हो कहते  हिन्दी  है  निज भाषा, यही एकता सूत्र , यही   है   राष्ट्रीयता    की  पहचान, करें  इसे  मजबूत,  इसी  से   होगा  सबका   उत्कर्ष, हम सब का  कर्तव्य यही  कि  राष्ट्र- भाव से  भरकर एक राग से…

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डॉ अरुणा पाठक आभा को मिला साहित्य गौरव पुरस्कार

डॉ अरुणा पाठक आभा को मिला साहित्य गौरव पुरस्कार  सुरेंद्र शर्मा जी के द्वारा सम्मान  ।      विंध्य प्रदेश रीवा से डॉ अरुणा पाठक को सुरेंद्र शर्मा के  द्वारा  दिल्ली में हिंदी भवन मैं आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया गया    टू मीडिया के संपादक आदरणीय ओम प्रजापति जी के और साथ में बेंगलुरु से पधारे हुए…

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कितनी कड़वी हैं सच्चाइयाँ

कितनी कड़वी हैं सच्चाइयाँ गिर रहीं नीचे ऊँचाइयाँ कोयलों के बाइक कंठस्वर चढ़ी नीलाम अमराइयाँ  बद हुये मौसमों के चलन हुयीं गुमराह पुरवाइयाँ  दिन ढले घर में अहसास के स्यापा करती हैं तनहाइयाँ आदमी कद में बकमतर हुआ बढ़ गयीं उसकी परछाइयाँ गिरना तय है जिधर जायेंगे उधर खंदक इधर खाइयाँ होश आयेगा ‘महरूम’ जब…

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शहीद भगत सिंह

(27 सितम्बर, 1907 से 23 मार्च, 1931) प्रारंभिक जीवन :- भगत सिंह का जन्म पंजाब के नवांशहर जिले के खटकर कलां गाँव के एक सिख परिवार में 27 सितम्बर, 1907 को हुआ था। उनकी याद में अब इस जिले का नाम बदल कर शहीद भगत सिंह नगर रख दिया गया है। वह सरदार किशन सिंह…

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