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मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम : नमिता नमन

मौन मैं और मेरे शब्द हो जाओ तुम प्रीति का एक प्रारब्ध हो जाओ तुम एक पावन शिला मन अहिल्या सा था तुम मुझे राम जैसी छुअन से मिले  मुझको आकार साकार तुमसे मिला जैसे मीरा की भक्ति को मोहन मिले   सूक्ष्मतम मैं रहूं श्रेष्ठतम तुम रहो प्राण तक मेरे प्रतिबद्ध हो जाओ तुम…

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