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लोकतंत्र में हेट स्पीच की कोई जगह नहीं : अजीत डोभाल

दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में भारत और इंडोनेशिया में आपसी शांति और सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा देने में उलेमा की भूमिका पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने विचार रखे। इस अवसर  पर डोभाल ने कहा कि लोकतंत्र में हेट स्पीच और मजहब के गलत इस्तेमाल की भी कोई जगह…

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तकनीकी, चिकित्सा और कानूनी शिक्षा मातृ भाषा में देने की पहल करें राज्य : शाह

हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा की महत्ता पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता  गढ़ मंत्री अमित शाह ने कहा कि यदि  छात्रों को उनकी मातृ भाषा में पढने की सुविधा मिलेगी  तो उनमें आसानी से मौलिक चिंतन की प्रक्रिया विकसित हो सकता  है और इससे अनुसंधान तथा नवोन्मेष को…

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कतर जैसे कट्टर देशों की विश्व फुटबाल की मेजबानी देना शर्मनाक ..!

कतर में इस समय फुटबाल के विश्व कप फीफा 2022 का आयोजन हो रहा जिसके लिए बायकॉट फीफा की आवाज तेज हो रही जिससे फीफा का संगठन बेहद चिंतित है क्युकी मैचों को अपेक्षित दर्शक नही मिल रहे । आपको याद होगा ये वही कतर है जो नुपुर शर्मा मामले में घिघिया रहा था और…

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विश्व एड्स दिवस ( 1 दिसंम्बर) पर विशेष

एड्स का जागरुकता ही बचाव है – लाल बिहारी लाल ++++++++++++++++++++++++++++++++++  लगातार थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार बुखार रहना आदी पर एड्स की संभावना हो सकती  हैं। ++++++++++++++++++ लाल बिहारी लाल  नई दिल्ली।लगभग 200-300 साल पहले इस दुनिया में मानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश…

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उनका मसाज कराना :  कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

सभी की अपनी-अपनी किस्मत होती है, इसमें चिढ़ने की क्या जरूरत है । सत्येन्द्र जैन की किस्मत का ही कमाल है जिस जेल में उन्हें चक्की की रोटयां बनानी चाहिए उस जेल में वे मसाज कराते दिखाई दे रहे हैं । भाजपा वालों को इसमें चिढ़ क्यों हो रही है । अरे वो मंत्री हैं…

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खजुराहो यात्रा:  एक अविस्मरणीय दैवीय अनुभव

यात्रा…….   जिसका नाम आते ही मन में  अजीब सी तरंगे  उसने लगती है।  एक  उत्साह  ,एक  जोश उत्पन्न हो जाता है  कि  लगातार  एक ही तरह की  दैनिक जीवन से  नया  कुछ हटकर  देखने को,  घूमने को,  सीखने को मिलेगा।  जहां हम स्वच्छंद होंगे , पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ  शायद  कुछ कम होगा। जहां…

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भावना

सब देखता नित ही यहाँ कब बोलता बस रो रहा। अब रोज ही यह हो रहा मुख ढाँप मानव सो रहा।। जग ही दिखे सब ये सखी अब खो रही निज है दया। अति हो रही हर क्षेत्र में यह बीज है नव बो रहा।। रचना रची भगवान ने उसने दिया यह रूप है। सबको…

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बधाईयां बधाईयां और केवल बधाईयां

डा.सर्वेश कुमार मिश्र सुबह से शाम हो गई किंतु कोई हलचल ना हुई कोई मनचल ना हुई कोई हिला भी नहीं कोई डुला भी नहीं कोई देखा भी नहीं कोई ताका भी नहीं। सच है खुद की लड़ाई खुद से लड़नी चाहिए बधाइयों के शहर में ना दुखड़े गाना चाहिए। खुद के मन की व्यथा…

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ग़ज़ल

इस नये साल पर दें तुम्हें क्या बधाइयाँ। हर सिम्त हैं चीखें-पुकार, ग़म- रुलाइयाँ। हम जायें किधर इधर कुंआ, उधर खाइयाँ गुमराह हो गयी हैं हमारी अगुआइयाँ। काबिज़ हैं ओहदों पर तंग़ज़हन ताक़तें, हथिया रहीं सम्मान सभी अब मक्कारियाँ। ईमानदारियों की पूछ- परख है कहाँ, मेहनत को भी हासिल नहीं हैं कामयाबियां। माँ,  बहन, बेटियों…

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चेहरा उसका शगुफ़्ता सा गुलाब लगे है…

चेहरा उसका शगुफ़्ता सा गुलाब लगे है उजली शब का वो मुनव्वर माहताब लगे है l जब भी देखा है उसे तारीकियों से लड़ते वो फ़लक पर इक चमकता आफताब लगे है l क्या करें तारीफ़ हम उस जल्व ए जाना की सिर से पाँ तक जो ग़ज़ल की इक क़िताब लगे है l सब…

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