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पुराने हांडी में नया चावल पका रहें धनाढ्य नेता .!

बहुत पुराने वक्त से हम सुनते आ रहे हैं कि जनतंत्र, जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन होता है। जनतंत्र में जनता होती थी, सरकार होती थी, चुनाव होते थे, नीतियां होती थी, संसद और विधायकाऐं होती थीं, जिनमें जनता द्वारा सरकार को चुना जाता था। सरकार जनता के कल्याण के…

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जोशीमठ की डरावनी तस्वीर   

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव जोश             जोशी मठ की तस्वीरें सभी को डरा रही हैं । मकानों में पड़ती दरारें और सम्पूर्ण क्षेत्र का धीरे-धीरे जमीन में धंसते जाना भय तो पैदा करेगा ही । हजारों घर इसकी चपेट में आ चुके हैं और संभव है कि यह संख्या इससे भी अधिक हो जाए । नए साल…

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मकर संक्रांति

मकरराशि में सूर्यदेव करते प्रवेश बढ़ती अवधि इस दिन से दिन के । जाड़े का प्रभाव दिन दिन घटता बढती जाती सूरज की है ऊर्जा। शिथिल शरीर पाता स्फूर्ति नव कस जाते मशीन में कल पुर्जा। काँप रहा ये जाड़ा अब खुद ही बीते समय इसका गिन गिन के। लोग मनाते पर्व बड़े ही विधि…

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जीवन की गतिशीलता के आनंद का उत्सव :मकर संक्रांति

संक्रान्ति का अर्थ है, ‘सूर्य का एक राशि से अगली राशि में संक्रमण (जाना)’। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है।इस दिन, सूर्य मकर रेखा (दक्षिणायन) से कर्क रेखा (उत्तरायण) की ओर बढ़ता है।पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। लेकिन इनमें से चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला…

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चांदनी मुस्कराई तुम्हारे लिए,

चांदनी मुस्कराई तुम्हारे लिए, वर्णमाला गुनगुनाई तुम्हारे लिए, तुम्हारे आगमन पर सखें, मेरे हृदय की बधाई तुम्हारे लिए। चांद बन तुम जियो, नेह की नूतन छुवन बन जियो, भावना से भरे इस हृदय में, तुम हमारे नयन में सुमन बन जियो। मेरे परिचय बन तुम जियो, मेरा मुकाम बन तुम जियो, जिंदगी अपनी पूरी सफल…

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वासंतिक दोहे

छे ऋतुओं का अंजनी,अपने यहां विधान। रहता है दो माह तक,वसंत ऋतु का मान।। माह चैत-बैशाख में,खुशी लाता वसंत। शोभा बढ़ता धरा की, चारो तरफ अनंत।। ऋतुओं के अनुरूप ही,बदलता खान-पान। भंवरे और तितलियां,करती हैं गुणगान।। चारो ओर सज जाते,वन-उपवन,घर-द्वार। बहती रहती हर तरफ,मस्त फगुआ बयार।। आता फूल में पराग, औ बाग में बहार। सुहाते…

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   कुछ इस तरह मनाएँ छब्‍बीस जनवरी इस बार,

सुधाकर अमृतवर्षा, दिवाकर रश्मि‍मणि बिखेरे इस बार,स्‍वाति गिरे धरा कुमकुम का शृंगार करे इस बार,क्षितिज पर फहराए विजयी विश्‍व तिरंगा अपना इस बार, कुछ इस तरह मनाएँ छब्‍बीस जनवरी इस बार,दो देश करते हैं जैसे विकास के लिए कोई करार।ग़रीबों के हक़ की बात करें इन्‍सानियत के दुश्‍मनों का करें बहिष्‍कार,बच्‍चों की सेहत पर दें ध्‍याननारी…

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