
हम हैं तुलसीदास
किसी ने मुझे दरवाजे से आवाज दी, भीतर कोउ है का..? मैंने अंदर से ही पूछा कौन है भाई ? दरवाजे से फिर आवाज आई, हम हैं तुलसीदास। मैंने दरवाजा खोला और उनसे वहीं खड़े-खड़े पूछा क्या चाहिए ? वे बोले कुछ नहीं। मैंने फिर जिज्ञासा से पूछा तो क्या? वे बड़े ही कातर स्वर…