
रसोईघर की मुहावरेदानी : डॉक्टर सरोजिनी प्रीतम
रसोईघर की पिटारी खोलकर देखिए तो लगता है, सारे मुहावरे भी यहीं पेट पालते रहे और फिर खिड़की के तांक-झांक करते हुए लोगों की जबान पर पहुंचे और सिर पर चढ़कर बोलने लगे। फिर उन्हें राख से मांज-मांज कर चमकाया गया और कहीं उस पर कलई की गयी और कहीं मुलम्मा चढ़ाया गया। कटोरदान…