Latest Updates

वासंतिक दोहे

छे ऋतुओं का अंजनी,अपने यहां विधान।

रहता है दो माह तक,वसंत ऋतु का मान।।

माह चैत-बैशाख में,खुशी लाता वसंत।

शोभा बढ़ता धरा की, चारो तरफ अनंत।।

ऋतुओं के अनुरूप ही,बदलता खान-पान।

भंवरे और तितलियां,करती हैं गुणगान।।

चारो ओर सज जाते,वन-उपवन,घर-द्वार।

बहती रहती हर तरफ,मस्त फगुआ बयार।।

आता फूल में पराग, औ बाग में बहार।

सुहाते कली-कचनार,गुलाब-हरसिंगार।।

मंजर से भरे रहते,सब अमुआ के डार।

महुआ का लगा रहता, चारो ओर पथार।।

मृदंग, झाल और ढोल, होते हैं अनमोल।

सुनकर सुहाना लगता है कोयल के बोल।।

धान की बाली से पट जाता है खलिहान।

देखकर सरसों का फूल,खुश होते भगवान।।

ऐसे ही आता रहे, सालों साल वसंत।

हर दिल में यूं अंजनी,भरता रहे उमंग।।

अंजनी कुमार शर्मा

वार्ड-12,ब्लॉक रोड,सुलतानगंज,

भागलपुर-813213

मोबाईल-7870825272

(भागलपुर जिला संभागीय अधक्ष,तुलसी साहित्य अकादमी,भोपाल)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *