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जोशीमठ की डरावनी तस्वीर   

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

जोश

            जोशी मठ की तस्वीरें सभी को डरा रही हैं । मकानों में पड़ती दरारें और सम्पूर्ण क्षेत्र का धीरे-धीरे जमीन में धंसते जाना भय तो पैदा करेगा ही । हजारों घर इसकी चपेट में आ चुके हैं और संभव है कि यह संख्या इससे भी अधिक हो जाए । नए साल के प्रथम माह में ही आई इन तस्वीरों ने सारे उत्साह को खत्म कर दिया है । ऐसा क्या हुआ कि जमीन धसंकने लगी । क्या विकास ने विनाश का रास्ता बनाया ? विकास तो होगा ही, जब आबादी होती है तो उसकी सुख सुविधाओ का ध्यान रखा जाना भी होता है, यह तो वैसे भी तीर्थ क्षेत्र जहां देश-विदेश से भी लोग आते हैं, तो यहां विकास की इबारत कैसे नहीं लिखी जायेगी । विकास के साथ जो सावाधानियां रखी जानी चाहिए शायद उसका ध्यान रखना भूल गए । प्रकृति को एक सीमा तक ही छेड़ा जा सकता है, वह इसे छेल लेती है और अपना संतुलन बनाये रख लेती है पर जब सीमा के बाहर जाकर कुछ गड़बड़ होती है तो प्रकृति साथ छोड़ देती है । जोशीमठ की तस्वीर भी इसी असावधानी का चित्रण है । ‘‘नजर हटी और दुर्घटना घटी’’ । अब जोशीमठ में ही नहीं सारे देश में हाहाकर मची है । पक्के मकानों में गहरी दरारें आ चुकी हैं और बड़ी-बड़ी बिल्डिगें तिर्यक रेखा का आकार ले चुकी है । ये दरारें बढ़ रही हैं, अब ये दरारें सीमेन्ट लगा देने से ठीक होने वाली नहीं है। मकान को ढहाना ही पड़ेगा सके अलावा विकल्प भी नहीं है । सेटेलाइट तस्वीरें बता रहीं हैं कि सम्पूर्ण क्षेत्र प्रतिदिन दो फीट क गहराई में धंस रहा है । यह गति निश्चित ही उस भयावह चित्रण को व्यक्त करने के लिए प्र्याप्त है जिसकी आशंका ने वहां के लोगों की नींदों का हराम कर रखा है । उत्तराखंड आपदाओं का राज्य हैं । यह पहाड़ी इलाका है और प्राकृतिक संपादाओं से भरपूर है । प्रकृति अपने स्तर पर इसका रखरखाव करती रही है पर जैसे इसका रखरखाव सरकारों ने और आमव्यक्यिों ने अपने हाथा में लिया तो प्रकृति का संतुलन डगमगाने लगा । इस राज्य के बहुत सारे ऐसे क्षेत्र है जहां अब प्रकृति की नाराजगी के सिग्नल दिखाई देने लगे हैं । इस पर कैसे काबू पाया जाएगा कहना कठिन है, पर प्रसास तो किए ही जा रहे हैं । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गतिमान है । इस यात्रा में जुटने वाली भीड़ काग्रेस को और राहुल गांधी के हौंसलों को बलुद कर रही है । दरअसल राहुल गांधी के पास यात्रा निकालने के अलावा आ।ैर कोई विकल्प था भी नहीं , जब वे चले होगें तब उन्हें उम्मीद नहीं रही होगी कि उनकी यात्रा सफल हो सकती है और वे आमजनों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो सकेगें । पर भीड़ जुटी तो यात्रा करने वालों का उत्साह बढ़ा । भीड़ जुट रही है ऐसी जानकारियां मिलने पर भीड़ देखने के लिए भी भीड़ जुटने लगी तो यात्रा और सफल होती दिखाई देने लगी । अमूमन रथ यात्रा का दौर ही रहा है पर यह तो पैदल यात्रा है । पैदल ही कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक का सफर पूरा किया जाना है । जिन राज्यों से होकर यात्रा गुजर रही है वहां कांग्रेस संगठित दिखाई देने लगी है । आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी कोई काम मिल गया, बेचारो सालों से बगैर काम के दिन काट रहे थे । राहुल गांधी भी पूरी सहजता के साथ यात्रा कर रहे हैं, इस सहजता के कारण ही आमव्यक्ति और आम कार्यकर्ता उनसे सीधे मिल भी पा रहा है । इसके कारण ही यात्रा की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है । राहुल गांधी ने जब यात्रा प्रारंभ की थी उस ामस में ठंड का मौसम नहीं था तो वे सफेद टी शर्ट पहनकर ही निकल गए होगें, पर शनैः-शनैः मौसम ठंडा होता चला गया पर राहुल गांधी की टी शर्ट उनके तन पर बनी ही रही, तो वह भी चर्चाओं में आ गई । एक टी शर्ट ने यात्रा में धूम मचा रखी है । लोग यात्रा को देख ही रहे हैं, पर उससे ज्यादा राहुल की टी शर्ट को देख रहे हैं । टी शर्ट राहुल गांधी से ज्यादा वीआईपी हो गई है । ठंड की गति बढ़ी, यात्रा की गति बढ़ी पर टीशर्ट की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा । हरियाणा, पंजाब जैसे राज्य जहां इन दिनों बेहद ठंड पड़ रही है, वहां भी राहुल गांधी एसी टीशर्ट पर दिखाई दे रहे हैं । पत्रकारवार्ता में टीशर्ट पर चर्चा हो रही है । टीशर्ट सबकी निगाहों में आ चुकी है । टीशर्ट की इतनी चर्चा हो चुकी है कि अब राहुल गांधी चाहें तो भी उसे नहीं बदल सकते, वे उसके ऊपर कोट नहीं पहने सकते, वे उसके साथ स्वेटर नहीं पहन सकते । ठंड बढ़ेगी तो भी वे कंपकंपाते हुए टीशर्ट पर ही दिख्चाई देगें, क्योंकि कैमरा उनसे ज्यादा उनकी टीशर्ट पर फोकस करता है । चारो आरे एक ही प्रश्न कि आखिर राहुल गांधी को ठंड क्यों नहीं लग रही, वे हैरानी से, आश्चर्य से उनकी टीशर्ट देख रहे हैं । रामदेव बाबा ने तो अपनी त्रिकाल दृष्टि से बता दिया कि राहुल गांधी की टीशर्ट के नीचे इनर है है जो उन्हें ठंड से बचा रही है, वे भला और क्या कहते, वे तारफ कर नहीं सकते थे जैसे अयांध्या के एक संत ने और विहिप के नेता ने कर दी है । किसी के द्वारा तारीफ किया जाना उसे नई मुसीबत में ला सकता है । तो उन्हेानेे अपने असीम ज्ञान से और इस ज्ञान के कारण खुल चुके ज्ञानचक्षुओ की मदद से रामदेव बाबा ने राज की बात बता दी ‘‘अब इतने बड़े योगाचार्य हैं वे झूठ थोड़ी न बोलेगें’’ सोचकर आमआदमी ने मान लिया । आमआदमी मानने के लिए ही होता है, उसे मान ही लेना प़ड़ता है सीधे नहीं तो टेढ़े । आम आदमी ज्यादा रस्कि नहीं लेता तो उसने मान लिया । पर उनकी बातों का केन्द्र बिन्दु अभी भी राहुल गांधी की टीशर्ट ही बनी हुई है । वैसे तो चिन्तन करने के और भी बहुत सारे बिन्दु हैं । दिल्ली के कंझावली में हुई अंजली की लगभग हत्या का मामला भी चिन्तन में लाया जा सकता है । एक दर्दनाक घटना और हैवानियत से भरी दास्तां । कोई कितना कूर हो सकता है । श्रद्धा की घटना और अंजली की घटना ने झकझोर दिया है । भारत में महिलाओं की सुरक्षा के सारे प्रयोग असफल ही साबित हो रहे हैं । हमारी मानसिकता महिलाओं के प्रति बदल ही नहीं पा रही है । प्रतिदिन घटनायें घट रहीं हैं और प्रतिदिन एक ही प्रश्न सामने उठ खड़े हो रहे हैं कि हम कब बदलेगें । इन्दौर मेें अप्रवासी सम्मेलन सम्पन्न हुआ । बहुत सारे अप्रवासी अपने देश में आए और इस सम्मेलन में शामिल भी हुए । कुछ अवव्यस्था की शिकायत भी रहीं जो स्वाभाविक है । आयोजकों ने आने वालो के बारे में जो अनुमान लगाया था उपस्थिति अनुमान से अधिक रही तो अव्यवस्था हो गई । वैसे इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए था क्योंकि अन्य देशें से आना वाला व्यक्ति आपके आंमत्रण पर आ रहा है तो उसको होने वाली हर असुवधिा के लिए वह आपको ही जिम्मदार ठहरायेगा । कोरोनाकाल के बाद पहलीबार ऐसे सम्मेलन का आयोजन था तो लोगों ने कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाया । वैसे इस सम्मेलन के लिए इन्दौर को जिस बेहतरीन ढंग से सजाया गया था वह देखने लायक था । मध्यप्रदेश में होने वाले आयोजन अब आयोजन स्थल की खूबसरती के प्रतीक बनते जा रहे हैं महाकाल मंिदर का डेकारेशन हो या उज्जेन में भरने वाले कुंभ मेले की आयोजन हो डेकोरेशन सभी का मनमोह लेता है, केवल थोड़ी बहुत होने वाली अवरूवस्था जरूर लोगों को परेशान करती है, उस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए । प्रखर नेता शरद यादव का निधन हो गया । शरद यादव जयप्रकाश नाायण जी के आन्दोलन के चलते राजनीति में आए और छात्र राजनीति से अपनी यात्रा शुरू कर देश की राजनीति के प्रमुख स्तंभ बन गए । वे स्पष्टवादी और सिद्धांतवादी नेता माने जाते थे । उनका निधन निश्चित ही अपूरणीय क्षति है, विनम्र श्रद्धांजली ।

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