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चर्चा का वो विषय बना ,

चर्चा का वो विषय बना ,

नाम जोशी मठ।

शहर धर्म कर्म की भूमि वो,

राज्य उत्तराखंड जिला चमोली।

जन जन करता बातें उसकी,

क्या हुआ है ऐसा आज

दीवारे दरक रहीं, जमीन धस रहीं,

बेघर हुए लोग रातों रात।

क्या मुद्दा सिर्फ़ इतना है,

या अन्य कोई गहन आशंका है।

रेलवे हो प्रयाग प्रोजेक्ट,

टिहरी या अंधाधुंध इंफ्रास्ट्रक्चर

जम कर रिसा जल फिर।

हुआ खोखला आज धरती का कोना कोना,

अब काहे का रोना धोना।

खोदी सुरंग,

फूटा जल स्रोत।

चट्टानों के धोखे में,

रेत का आधार रहा।

जाने कहाँ कहाँ अब धरती ने है धैर्य खोया,

अब बैठे है पता चला,

क्या क्या पाया और क्या खोया।

युगों से बस हमनें लेना ही तो सीखा है,

कुदरत को लुटा,

प्रकृति पर प्रहार किया।

स्वार्थ इतना हावी हुआ,

बैठे जिस डाल पर उसको ही काट दिया।

जब गवायी ज्योति मठ की,

तब उसकी याद विरासत आयी।

अब कहते हो,

बद्रीनाथ का आधार उसे,

मूर्ख कितने लगते हो।

क्या अब भी नेत्र सजल मात्र इसलिए है कि रास्ते पर अब लोग खड़े है,

रेडक्रॉस की सेवा मिले उन्हें।

कितना!मजाक ये लगता है

ख़ुद को ख़ुद घाव दिए,

फिर इल्जाम लगाया भाग्य पर।

अनियमित बारिश की आड़ में,

निर्दोष ख़ुद को कहते हो।

सच कहो क्या दर्पण में,

ख़ुद को हत्यारे नहीं लगते हो..

नेहा अजीज़

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