कविता और कहानी
*मेरे प्यारे भैया*
रत्नों में से एक रत्न है मेरा प्यारा भैया निष्काम भाव से करता रहे सेवा वो ओ मेरे कृष्ण कन्हैया बहनों के प्यार को ,माला में पिरोकर सुंदर माला बनाई जिसकी रक्षा करता है हरपल मेरा प्यारा भाई सभी के लिए मीठी मुस्कान उनके चेहरे पर रहती इतने सरल हृदय हैं वो पावन गंगा बहती…
सवाल किससे करें?
ज़हन में कई हैं ख्याल, सवाल किससे करें? सियासत का बुरा हाल, सवाल किससे करें? करते हैं नंगा नाच, संसद में अब नेता, अपनी ही ठोंके ताल, सवाल किससे करें? सब चाहते बिरयानी, चाँदी के थाल में, ना खाएं चावल दाल, सवाल किससे करें? लूट, हत्या व डकैती, राहजनी बेख़ौफ़, सड़क पर ताण्डव कमाल, सवाल…
“चलो तस्वीरें बनाए”
पारमिता षडगीं जिंदगी जिंदगी को बुला रही थी मेरे भीतर के खालीपन में रात भी थोड़ी थोड़ी मेरी नींद को चुराने लगी थी तुम्हारे भीतर व्याप्त रहने की इच्छा जो अनदेखी थी जो अनसुनी थी मेरे अकेलेपन के आतुर स्वर आकाश को खंड खंड कर पिघलने लगे थे आत्मा की उपत्यका में एक नदी बहने…
संयमित जीवन शैली
आज का विशेष संयमित जीवनशैली वास्तव में एक महत्वपूर्ण विषय है क्यूकि हमारी पीढ़ी कम्प्यूटर, मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है – मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है और इन सभी अराजकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो…
“मौसम खुशमिजाज है।”
बसंत यानि उल्लास। प्रेम और प्यार का आभास। ज़िन्दगी के लिए अति आवश्यक तत्व। गतिमान रहने के लिए एक आवश्यक बल। बसंत प्रतिवर्ष आता है। बीते वर्षों की कुछ यादें ताजा कर जाता है। फिर से मिठास भर जाता है। जीवन को महका जाता है। हर तरफ बिखरा हुआ रंग। रंग बिरंगे फूल खिले हुए।…
हर गली में एक निर्भया है
कितना मुश्किल है इस दुनिया में औरत हो पाना कदम कदम पे परखे जाना जाना अपने आप को पवित्र दिखाना। यह परख, यह परीक्षा जो कभी खत्म नहीं होती। क्यों एक बलात्कार में सिर्फ औरत ही है इज्जत खोती क्यों वजूद उसका इतना दबाया जाता है । लोग क्या कहेंगे कहकर चुप कराया जाता है…
प्रवासी दुनिया
समुंदर का नीलापन आकाश का नीलापन उड़ रहे क्रेन पक्षी एक नया रंग दे रहे प्रकृति को। सुंदरता दिन को दे रही सौंदर्यबोध रात में ले रहा समुंदर करवटे लहरों की। तारों का आँचल ओढ़े चंद्रमा की चाँदनी निहार रही समुंदर को क्रेन पक्षी सो रहे जाग रहा समुंदर। मानों कह रहा हो प्रवास की…
” दीपोत्सव”
रघु मिट्टी के खिलौने और बर्तन बनाने वाला एक कुम्हार था। उसके बनाए सामान की खूब बिक्री होती थी। हर साल दिवाली पर रघु दिए और खिलौने बनाता था। मिट्टी के दियों को जोड़कर अलग अलग दिखने वाले झूमर भी बनाता था। त्यौहार पास आता तो उसके पास बिल्कुल भी समय नहीं होता था। रात…