कविता और कहानी
इमरती बड़ी चुलबुली… (बाल-कविता )
इमरती है बड़ी चुलबुली सोनपपड़ी अकड़ी अकड़ी कलाकंद दे रहा आनंद बरफी बिफरे करे फंद रसगुल्ला कर रहे हल्ला लड्डू ने झाड़ा है पल्ला मक्खनबड़ा रहते हैं मौन खीरमोहन की चली पौन जलेबी रस में डूबी पड़ी रबड़ी बात करे तगड़ी मोहनभोग लगे अच्छे गूँजी दे रही है गच्चे घर अंदर इनके हाँके हैं बाहर…
दिव्य दृष्टि के दीप जलाएँ
कविता मल्होत्रा बाल दिवस और दीपोत्सव, एक ही दिन आने वाले, आत्मा को आनँदित करते दोनों उत्सव, भारत के प्रत्येक नागरिक को, दोहरी भूमिका निभाने के लिए, सत्यम शिवम् सुँदरम की भावना के प्रति फिर एक बार आगाह कर रहे हैं। हमारे देश के मौजूदा हालातों, और बाज़ारू चकाचौंध के प्रति आकर्षित होता, मासूम बच्चों…
आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार?
भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों की…
ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी एक पहेली सी लगती है, दुखो की छाव एक सहेली सी लगती है । हम तो बैठे थे इक आशा की किरण थामे पर अब आशा करना एक नादानी सी लगती है । ज़ख्म जैसे भी हो हमेशा दर्द ही देते है , अब तो ख़ुशी महसूस करना भी , इक बात पुरानी लगती…
“बैंक मैनेजर का चरित्र”
पंजाब नेशनल बैंक के चीफ मैनेजर बरियार साहब अनुशासन के मामले में कोई, किसी प्रकार से समझौता नही कर सकते थे या नहीं करते थे।अनुशासन के पक्के होने के कारण पूरे राज्य के सभी बैंक के लोग(कर्मी)उन्हें जानते थे।किसी भी शाखा में पदस्थापना होने पर उनके योगदान करने से पूर्व ही उस बैंक के सभी…
“महाप्रलय मचाओ माँ”
बस बहुत हो चुका हलवा- पूरी कन्या पूजन भी बहुत हुआ अब नहीं सुरक्षित कहीं बेटियां सब कर रहे कर- बद्ध प्रार्थना नवरात्रों में भोग लगाने अब घर- घर मत आओ माँ कितनी निर्भया और बलि चढ़ेंगी ? आज हमें बतलाओ माँ मैया सीता तो निष्कलंक थी क्यूंकि लंका में रावण था जनक नंदिनी निष्कलंक…
करो मेरा उद्धार (दोहे )
1.कमल आसना शारदा, करो मेरा उद्धार। विद्वजनों में मान हो,लेखन में हो धार।। 2. विद्या दान महा दान , समझो रे नादान। किसी को शिक्षित न किया,तो कैसे विद्वान।। 3. विद्यावान बनें सभी,करें राष्ट्र निर्माण । बेटा बेटी सब पढ़ें,तब ही हो उत्थान।। 4. बेटी को पढ़ाने में क्यूँ आती है लाज । बेटा भविष्य…