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“राखी”

        राखी नाम की एक दुबली-पतली बीमार -सी ,साँवले रंग की एक लड़की,उम्र यही तेरह- चौदह की साल रही होगी । वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थी । राखी कक्षा में बिलकुल पीछे बैठती थी। वह हमेशा चुपचाप बैठी रहती शायद इसी लिए उसकी कोई  सहेली भी नहीं बनी थी । हाँ अगर शिक्षिका कक्षा…

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सौंदर्य

सौंदर्य केवल वस्तुओं में नहीं है सौंदर्य केवल मनुष्य में नहीं है सौंदर्य केवल प्रकृति में नहीं है सौंदर्य सर्वत्र व्याप्त भी नहीं है वास्तविक सौंदर्य देखने वाले की आँख में है इस प्रकार सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् की परिभाषा अमूल्य, अजान और अमान्य जान पड़ती है जो लोग खोजते हैं सौंदर्य को ईश्वर में जो लोग खोजते…

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यूं तो जरा भी देर न लगी

भावनाओं को कविता का रूप दिया, लेकिन आज क्यों शब्द भी थम से गए, जब से प्रभु श्री राम का नाम लिया। कितनी पवित्र होगी वो स्याही, जो लिखेगी मेरे प्रभु श्री राम का नाम, उस कागज में भी जान आ जाएगी, जिसमें रघुवर के होंगे गुणगान। राम नाम जपता ये जग सारा, पर राम…

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राष्ट्रमुकुट की प्रतीक्षा

कर कर के युग प्रतीक्षा थक जाऊंगी। क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी। मेरी आत्मा से वे चलचित्र बनाते, मेरे वाक्यों से अरबों रोज कमाते, मेरा अधरों पर नाम तक नहीं लाते, उस फिरंगिनी बोली को गले लगाते। सब देशों की प्रिय भाषा बन जाऊंगी, क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी। शिशुओं की मुझसे दूरी…

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मेरा मन

छाया चंहुं ओर अंधेरा है  जन-जन को भय ने घेरा है  धुआं धुआं सा तन मेरा धधक रहा है मेरा मन। माता की छाती छलनी है पापा की पगड़ी उछली है राक्षसों ने नोच-नोच खाया कह रहा भारत मां का क्रंदन। रोता है मेरा रोम रोम चीत्कार करें पृथ्वी व्योम हे धरती मां तू फिर…

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भारत वन्दना

हे जन्मभूमि भारत वन्दन करूंगा तेरा, है कर्मभूमि भारत वन्दन  करूंगा तेरा।          तू चेतना  की  देवी          तू कर्मणा की  देवी          तू भावना की  देवी          तू साधना  की देवी हे कर्षभूमि भारत  वन्दन करूंगा तेरा, हे धर्मभूमि भारत  वन्दन करूंगा तेरा।           तू  एकता  सिखाती           तू  नेकता   दिखाती           तू  नीति  …

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आत्महत्या कोई विकल्प नहीं

नीट की परीक्षा उत्तीर्ण ना कर पाने के कारण स्वाति बहुत उदास हो गई थी। कुछ नंबर की ही कमी रह गई वरना पेपर निकल जाता। यह उसका तीसरा प्रयास था उसे पूरी उम्मीद थी कि इस बार क्वालीफाई कर लेगी। ऊपर से समाचारों में नीट की पारदर्शिता पर उठे सवालों से उसका मन और…

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“कलबूत” – वंदना गर्ग

अरे वाह! आ गई आपवेलकम! वेलकम!कुशन की टेक लगाकर आराम से बैठीऐ (मनोवैज्ञानिक ने मुस्कुराते हुए आदर भाव से कहा)मैं चाय वाय का इंतजाम करती हूं, मौसम भी अच्छा हुआ है,सच्च पूछो तो मॉनसून की बात ही अलग होती है, है ना!क्या कहती हैं आप?हां बिलकुल , ठीक कहा!हर मौसम का लुत्फ ही अलग होता…

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 रेशमा 

रेशमा एक बहुत ही सीधी-सादी लड़की थी । जहां उसके साथ की लड़कियां फ़ैशन ,टीवी और मोबाइल में लगी रहती थी वहीं वह उम्र से पहले ही बड़ी हो चुकी थी। रेशमा का पिता शराबी था वह दर्जी का काम किया करता था परन्तु सारी की सारी कमाई अय्याशी और शराब पर लुटा दिया करता…

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सच्ची तस्वीर

अपने सपनों का इक महल बनाया है मैंने। उसको ख्यालों के फूलों से सजाया है मैंने।। कागज की कश्ती, बारिश का पानी, सब पुरानी बातें हैं। डिजिटल  दुनिया के साथ अपना कदम बढ़ाया है मैंने।। इस शोर मचाती दुनिया में खूबसूरत खामोशी को अपनाया है मैंने। जब-तब संगीत सुना है सागर की लहरों से खूब…

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