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श्रीराम जीवन काव्य

विधा:-दुर्मिल सवैया छंदसुत कौशलया जब राम जने,भइयों मिल चार हुये तब थे।अवधेश मिटे सब कष्ट मिले, नगरी घृत दीप जले अब थे।दरबार बॅंटे उपहार प्रजा, सचिवों नृप के मन भी खुश थे।बजती ध्वनि नूपुर गान सुना, हिजड़ों निकसे मुख आशिष थे॥ ॲंगना सब बालक खेल रहे, खुश माँ उनकीं यह देख सभी।मन चैन मिटे मुख…

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 राष्ट्रीय महापर्व छब्बीस जनवरी।

छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में।  लागू सन् उन्नीस सौ पचास से, भारत के सम्मान में॥  प्रथम राष्ट्रपति डाॅ राजेन्द्र प्रसाद ने, देश का मान बढ़ाया।  तिरंगा लाल किला पर दिल्ली, प्रातः आठ बजे फहराया॥  मिली सलामी इक्कीस तोपों, वीरों के बलिदान में।  छब्बीस जनवरी पर्व मनाते, संविधान के मान में॥  राष्ट्रपति भाषण…

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आईए! राम!

आईए! राम!अयोध्या में आपका स्वागत है।वैसे, मंदिरों-महलों की आपको जरूरत नहीं;लेकिन, श्रद्धा का भाव लेकर आईए! आप ही खुद प्रकाश हो,दीपकों की आपको जरूरत क्या;मगर, ज्ञान का प्रकाश लेकर आईए! आप सर्वव्यापी हो,आप जय-जयकार नहीं चाहते;मगर, गुणों की जय-जयकार लेकर आईए! जो सबकी भूख मिटाते हैं,उनको पकवानों से क्या लेना-देना;लेकिन, आदर्श के पकवान लेकर आईए!…

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खुदगर्जी

रोशनी एम.बी.ए की पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब कर रही थी। परिवार वाले उससे शादी के लिए कहते हैं तो वह मना कर देती। रोशनी कई साल से एक लड़के के संपर्क में थी। जो उसके परिवार की हैसियत से बहुत कम था। वह दूसरे धर्म संप्रदाय से भी था। रोशनी अच्छी तरह से…

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राम भजन- जा ये कबुतर,कहना प्रभु श्रीराम से

 गीतकार-लाल बिहारी लाल, जा ये कबुतर धाम अयोध्या, कहना प्रभु श्रीराम से । हम आयेंगे चरण में तेरे, सेवक बन हनुमान से। जा ये कबुतर धाम…….. बरसों बरस के बाद बना है, भव्य मंदिर  श्रीराम  का । जगह जगह अब चर्चा है , मेरे प्रभु जी श्रीराम  का। घर-घर गाओं महिमा सुनाओं अयोध्या पावन धाम …

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चैटिंग

अमन बड़े दिनों बाद अपने पुराने शहर माता-पिता से मिलने आया था। घर पहुंचने से पहले जब उसकी गाड़ी बाज़ार से गुज़र रही थी तो उसकी पत्नी मंजू बोली सुनो मेरा कोल्ड ड्रिंक पीने का बहुत मन हो रहा है। ऐसा करो गाड़ी कहीं किनारे लगा कर घर के लिए फल मिठाई भी ले लो…

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हमारा प्यारा हिन्दुस्तान

#bharat #hindustan #hindikavita #umakantbhardwaj जीवन पथ को सुगम बनाओ, वक्त गुजरता जाने दो।  मेहनत करो रात दिन मन से,तुम अभाव भर जाने दो॥  व्यस्त रखो स्वयं को तुम,वांछित अर्जित कर पाओगे।  गुजरा कब दुर्दिन वक्त,चाहकर भी नहीं जान पाओगे॥  आदर्श करो प्रस्तुत नव पीढ़ी,मार्ग यही अपनाने दो।  जीवन पथ को सुगम बनाओ,वक्त गुजरता जाने दो॥ …

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अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस : गीतकार -अनिल भारद्वाज एडवोकेट

हिमालय के भाल पर सूरज सी जो दमके,वही मेरी राष्ट्रभाषा हिंदी भाषा है। सूर तुलसी ने सजाई काव्य गहनों से,है बहुत सुंदर ये अपनी और बहनों से,अजंता की मूर्ति सा जिसको तराशा है,वही मेरी मातृभाषा हिंदी भाषा है। गीत सा श्रृंगार और संगीत सा स्वर है,भाव मन के जहां बसते हिंदी वह घर है,हिंद के…

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राम आरती होने लगी है,

राम आरती होने लगी है,अवधनगरिया सजने लगी है।हो गया मन का काम,बोलो जय जय सीताराम।बोलो जय-जय राधे श्याम राम नाम की जीत हुई है,कोर्ट कचहरी खत्म हुई है।बाहर तंबू से घनश्याम,बोलो जय-जय सीतारामबोलो जय जय राधे श्याम। राज छोड बनवास गए थे,राक्षसों का नाश किए थे,रखते सबका ध्यान,बोलो जय-जय सीताराम,बोलो जय जय राधे श्याम। इस…

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जीवन का सार

गृहस्थी का दायित्व, कब अवसान देता है, गाड़ी-सा जीवन जिम्मेदारियों की सड़क पर, सरपट दौड़ता है, अहर्निश अविराम। स्व मनोरथ श्रम-भट्ठी में झोंकता है, स्वजनों के काम्यदान के लिए। तब प्रमोद-सरिता अविरल बहती है, परिजनों को भिगोती है अपने सुखदायी मेघपुष्प से। कर्तव्यों की वृत्ति अंततः जीर्ण बना देती है, पराश्रित बना देती है। बस…

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