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02 जून का दिन वास्तव में गहन चिंतन का दिन है

आज के दिन यानी 02 जून, 1947 को भारत के शीर्ष नेताओं ने भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लुईस माउंटबेटन के घर पर देश के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक के लिए एकत्र हुए। और वह बैठक थी भारत-पाक विभाजन की योजना के संबंध में। माउंटबेटन, जो सिर्फ़ तीन महीने पहले ही…

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सामाजिक समस्याओं में उलझने की हमारी कोशिश जारी है……

पंकज सीबी मिश्रा  / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी            मनुष्य कशेरुकी समूह का रीढ़युक्त प्राणी है। मानव व्यवहार को समझना स्वयं मानव के वश में नहीं। हमारे  जीवन में जीवविज्ञान का कोई अस्तित्व नहीं केवल हम  विभाजन में विश्ववास रखते है। हमें समाज में सामाजिक प्राणी कहा भर जाता है क्योंकि हमारे  पास…

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अक्षय तृतीया: समृद्धि, पुण्य और शुभारंभ का पर्व

अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखा तीज’ भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। ‘अक्षय’ का अर्थ होता है—जो कभी क्षय (नाश) न हो। यही कारण है कि यह दिन शुभ कार्यों, दान-पुण्य, निवेश और नए आरंभ के लिए…

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एक जन कवि – रामधारी सिंह दिनकर

(23 सितंबर, 1908-24 अप्रैल, 1974) प्राचीन काल से ही, लेखकों और कलाकारों द्वारा विपत्ति के समय मानव जाति की अदम्य भावना को रेखांकित करने के लिए वीर रस या वीर भावना को अपनाया जाता रहा है। अजेय के सामने खड़े होने के इस संघर्ष का परिणाम हर बार जीत में नहीं होता, लेकिन इसने निश्चित…

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उत्कर्ष मेल 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )

उत्कर्ष मेल (राष्ट्रिय पाक्षिक पत्र) 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के विशाल कार्यक्रम -राष्ट्रीय-प्रादेशिक एवं जिला स्तर पर सरकारी, गैरसरकारी तथा समितियों द्वारा आयोजित किए गये, जिनमें पार्टी बाजी से इतर सबने मिलजुल कर संविधान निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को नमन-वंदन करते हुए ठोस लोकतन्त्र…

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भारत में वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार (मो.)- 9810424170 @ j.shriji@gmail.com शिक्षा समाज और मानव विकास की आधारशिला है। जब मानव जाति के लिए शिक्षा शब्द का प्रयोग किया जाता है तब उसका अर्थ विवेक से लिया गया यानी मनुष्य की वह स्थिति जिसके अंतर्गत उसमें अंतर्निहित शक्तियों का निरंतर विकास होता है तथा उसके…

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(अंबेडकर जयंती विशेष)

“लोकतांत्रिक भारत: हमारा कर्तव्य, हमारी जिम्मेवारी” जनतंत्र की जान: सजग नागरिक और सतत भागीदारी लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका केवल वोट देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्हें न्याय, समानता, संवाद, स्वच्छता, कर…

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नवरात्रि विशेष : असुर मारि थापहिं सुरन्ह, राखहिं निज श्रुति सेतु

पंकज सीबी मिश्रा  / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर सनातन में चैत्र नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस अवधि में पूजा-पाठ के साथ-साथ सुख-समृद्धि के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक वर्ष भर में पढ़ने वाले चारों नवरात्रि में देवी का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है, चार…

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मनुष्य या ब्रह्माण्ड

जब वे सब अध्यात्म विशेषज्ञ,और इस विज्ञान युग कीविशिष्ट  चिंतन प्रक्रिया के अति संवेदनशील विशेषज्ञ भी ब्ह्म के एकमात्र सत्य अस्तित्ववान होने को नकार नहीं सकते। यह मानना कि वह निराकारहै , जिसका एक व्यक्तिअथवा किसी एक जीव का स्वरूप नहीं,और यह कि सम्पूर्ण ब्ह्माण्ड उसकी इच्छा से हीउसके स्वरूप को ही स्वयम में धारता…

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नया वर्ष, नई उमंग, नया संकल्प

नया वर्ष हर किसी के जीवन में नई उम्मीदों, संकल्पों और खुशियों का संदेश लेकर आता है। यह समय होता है जब हम अपने बीते हुए वर्ष की घटनाओं और अनुभवों को पीछे छोड़कर नए शुरुआत की ओर कदम बढ़ाते हैं। नए साल के साथ ही जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है और…

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