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पहलगाम की घटना से हर भारतीय आक्रोशित :  कुशलेन्द्र श्रीवास्तव

राजनीतिक सफरनामा शर्मनाक……घृणित, कायराना हमला……निःशब्द और मौन रहकर केवल उनके प्रति भावांजलि है जिनको हमने खो दिया है, ओह क्या कसूर था उनका वे तो अपने परिवार के साथ प्रकृति के अनूठे सौन्दर्य को निहारने गए थे….तुमने उनको अकारण मार दिया, धर्म की आड़ लेकर मार दिया उनके परिवार के सामने उन पर गोलियां बरसा…

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एक जन कवि – रामधारी सिंह दिनकर

(23 सितंबर, 1908-24 अप्रैल, 1974) प्राचीन काल से ही, लेखकों और कलाकारों द्वारा विपत्ति के समय मानव जाति की अदम्य भावना को रेखांकित करने के लिए वीर रस या वीर भावना को अपनाया जाता रहा है। अजेय के सामने खड़े होने के इस संघर्ष का परिणाम हर बार जीत में नहीं होता, लेकिन इसने निश्चित…

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पहलगाम की गोलियाँ: धर्म पर नहीं, मानवता पर चली थीं— प्रियंका सौरभ

कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकी हमला सिर्फ एक गोलीबारी नहीं थी—यह एक ऐसा खौफनाक संदेश था जिसमें गोलियों ने धर्म की पहचान पूछकर चलना शुरू किया। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो आतंकियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, फिर उन्हें जबरन कलमा पढ़ने के लिए कहा, और इंकार करने पर गोली…

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धरा  को बचाने के लिए जनभागिदारी जरुरी है- लाल बिहारी लाल

विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष (22 अप्रैल) देश दुनिया में पर्यावरण का तेजी से क्षति होते देख अमेरिकी सीनेटर जेराल्ट नेल्सन ने 7 सितंबर 1969 को घोषणा की कि 1970 के बसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रब्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। उनकी मुहिम रंग लायी और इसमें 20 लाख से अधिक लोगो ने भाग लिया।…

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उत्कर्ष मेल 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )

उत्कर्ष मेल (राष्ट्रिय पाक्षिक पत्र) 16-30 अप्रैल (सम्पादकीय )14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के विशाल कार्यक्रम -राष्ट्रीय-प्रादेशिक एवं जिला स्तर पर सरकारी, गैरसरकारी तथा समितियों द्वारा आयोजित किए गये, जिनमें पार्टी बाजी से इतर सबने मिलजुल कर संविधान निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को नमन-वंदन करते हुए ठोस लोकतन्त्र…

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भारत में वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति

डॉ ज्योत्स्ना शर्मा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार (मो.)- 9810424170 @ j.shriji@gmail.com शिक्षा समाज और मानव विकास की आधारशिला है। जब मानव जाति के लिए शिक्षा शब्द का प्रयोग किया जाता है तब उसका अर्थ विवेक से लिया गया यानी मनुष्य की वह स्थिति जिसके अंतर्गत उसमें अंतर्निहित शक्तियों का निरंतर विकास होता है तथा उसके…

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(अंबेडकर जयंती विशेष)

“लोकतांत्रिक भारत: हमारा कर्तव्य, हमारी जिम्मेवारी” जनतंत्र की जान: सजग नागरिक और सतत भागीदारी लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका केवल वोट देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्हें न्याय, समानता, संवाद, स्वच्छता, कर…

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अन्य जातियों के आंदोलन से सीखने की जरूरत , सवर्णों की निजी राजनीतिक लिप्सा पतन का कारण

पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी  ब्राह्मण  संगठनों को भी आगरा राजपूताना आंदोलन से सीखना चाहिए कि अपने जाति के अधिकारों और सम्मान के प्रति जागरूकता कितनी आवश्यक है ! आन्दोलन का मतलब किसी का अपमान अथवा तोड़फोड़ नहीं  अपितु आगामी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ना है…

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राज्यपाल को राह दिखाई कोर्ट ने

राजनीतिक सफरनामा          राज्यपाल को राह दिखाई कोर्ट ने                                                                                                     कुशलेन्द्र श्रीवास्तव माननीय सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला इन दिनों चर्चाओं में हैं । ‘‘राज्यपाल किसी पार्टी के प्रतिनिधि के प्रतिनिधि नहीं बन सकते’’ इस सख्त टिप्पणी के बहुत गहरे मायने हैं । तमिलनाडु सरकार द्वारा वहां के गवर्नर द्वारा विधानसभा में पारित प्रस्तावों को…

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हर दिल अजीज मनोज कुमार को शत-शत नमन..!

तरीका यह है कि सिनेमा, खासकर बॉलीवुड ने इसे अलग-अलग युगों में कैसे परिभाषित किया है। 87 साल की उम्र में “भारत” मनोज कुमार (जन्म हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी, 24 जुलाई, 1937) का निधन हमें सोचने का मौका देता है। उन्होंने किसी भी अन्य अभिनेता से ज़्यादा देशभक्ति, राष्ट्रवाद, अच्छी नागरिकता, वैध जीवन और एक सद्गुणी…

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