Latest Updates

नये साल का रोचक इतिहास

लाल बिहारी लाल नव वर्ष उत्सव  मनाने की परंपरा 4000 वर्ष पहले बेबीलोन(मध्य ईराक) से शुरु हुई थी जो 21 मार्च को मनाया जाता था, पर रोम के शासक जुलियस सीजर ने ईसा से 45 ई. पूर्व जूलियन कैलेंडर की स्थापना विश्व में पहली बार की तब ईसा पूर्व इसके 1 साल पहले का वर्ष…

Read More

नए साल की नई सुबह : राजनीतिक सफरनामान

                                                                                                   कुशलेन्द्र श्रीवास्तव नए कैलेण्डर के नए वर्ष के सुनहरे पन्ने पर दर्ज नए साल के भावो को अंगीकार कर सूरज की शीतल रष्मियों से आल्हादित आंगन की भोर में नया भले ही कुछ भी न हो पर मन में नएपन का उत्साह अवश्य होता है । चिड़ियों की सहक तो पुरानी ही है पर…

Read More

सत्य की खोज : आशा सहाय

दिनांक– बारह दिसम्बर दो हजार तेइस।–नवभारत टाइम्स मे 'द स्पीकिंग ट्री' के अन्तर्गत श्री जे. कृष्णमूर्ति के कुछ विचार पढ़े जिन्होंने मुझे सोचने को प्रेरित करते हुए बहुत हद तक सहमत होने पर विवश किया। उनके विचार सत्य की खोज पर आधारित थे । उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि सत्य की खोज…

Read More

पुस्तक परिचय : शब्दों की बीज

स्त्री-विमर्श के नव मूल्य स्थापित करती कविताएँ अनिता कपूर जी की कृति *शब्दों के बीज* हाथ में है शीर्षक पर ही देर तक नज़र ठहरी रही। मन में एक मंथन इस शीर्षक को लेकर देर तक चला। कई प्रकार के विचार आ- आकर मन की चौखट पर दस्तक देने लगे। आख़िर क्या है शब्द बीज?…

Read More

पुस्तक परिचय : संगम शब्दों का

लेखिका की कलम  से संगम शब्दों का – यह एक यथार्थ अभिव्यक्ति  है।  जिसमें, काल्पनिकता का समावेश ना होकर यथार्थ के चित्रण को  अभिव्यक्त किया गया है। संपूर्ण पुस्तक में उन सभी पहलुओं व मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है जो कि,हमारे आसपास में घटित होते हैं । चाहे वह आर्थिक हो ,धार्मिक हो, सामाजिक…

Read More

देश में पनप रहें खतरनाक वीआईपी कल्चर से निजात कब..?

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकाल मंदिर,  अङ्गदानंद आश्रम इत्यादि जगहों पर तेजी से पनप चुके वीआईपी कल्चर ने ना सिर्फ आस्था को चोट पहुँचाना शुरू कर दिया है अपितु लोगो को सनातन और पूजा पाठ से भी दूर करने का काम किया है। मै अभी पिछले सप्ताह काशी विश्वनाथ धाम और महाकाल धाम गया पर…

Read More

उथल-पुथल से भरपूर रहा पखवाड़ा

राजनीतिक सफरनामा : कुशलेन्द्र श्रीवास्तव यह पखवाड़ा बहुतउथल-पुथल वाला रहा । चुनाव भी निपटे और बहुत सारे बड़े कहे जाने वाले नेता भी निपट गए । वे चुनाव जीतकर निपट गए और बुछ चुनाव हार कर निपट गए । पर सबसे पहले तो भारत के लोकतंत्र के मंदिर में अनायास घुसने वाले तथाकथितों की कहानी…

Read More

10 दिसंबर मानव अधिकारों के जागरुकता का दिन

विश्व मानव अधिकार दिवस पर विशेष- लाल बिहारी लाल (वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार) नई दिल्ली। आज मानव के अधिकारों के संरक्षण का संवैधानिक दर्जा पूरी दुनिया में प्राप्त है। मानव अधिकारों से अभिप्राय ”मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रत से है जिसके सभी मानव प्राणी समान रुप से हकदार है। जिसमें स्वतंत्रता, समाजिक ,आर्थिक औऱ राजनैतिक रूप…

Read More

टनल में फंसे मजदूरों को जातिवाद का फायदा क्यों नहीं मिला  …!

उत्तरकाशी  टनल में फंसे मजदूरों के जगह अगर यहीं 41 वीआईपी लोग एलीट क्लास  अथवा पिछड़े और दलित नेता टाईप के होते और वे ऐसे ही कहीं फंस जाते तो सदन के दलित नेता और मीडिया क्या करता ? पूरा देश सर पर उठा लेता।  बोलने का मतलब है सरकार से सवाल करना  मीडिया ने…

Read More