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….फिर यह दुनिया होगी खूबसूरत

जब ना जाति होगी ना भेदभाव होगा जब धर्म सिर्फ इंसानियत का होगा तब होगी यह दुनिया खूबसूरत तब होगी यह दुनिया खूबसूरत।

जब इंसान अपने प्रोटीन व स्वार्थ के लिए किसी बेजुबान जानवर की हत्या ना करके सही मायनों में प्रेम की परिभाषा सीखेगा। तब होगी यह दुनिया खूबसूरत तब होगी यह दुनिया खूबसूरत।

जब भगवान की बनाई हुई हर चीज़ में इंसान संतुष्ट होगा तब होगी फिर दुनिया खुबसूरत  तब होगी फिर दुनिया खुबसुरत

जब इंसान काम क्रोध व लोभ वा लालच वा अंहकार के वश ना होकर उसमें प्रेम करुणा दया जैसे गुण होंगे। मन में सबके लिए कल्याण की भावना होगी तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत।

जब इंसान अपने चंद स्वार्थ के लिए फरेब चालाकी व धोखा ना करके पंछी को दाना व भूखे को रोटी व किसी जरूरतमंद की मदद करेगा। तब होगी यह दुनिया खूबसूरत तब होगी यह दुनिया खूबसूरत।

भगवान अल्लाह गॉड शिव कहो मंदिर मस्जिद चर्च जाओ। अब उनके नाम व धर्म के तरीकों के लिए बहस ना करके हर इंसान अपनी बुराई व विकारों का दान देकर विश्व में शांति स्थापित करेगा। तब होगी  फिर यह दुनिया खूबसूरत तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत।

 अब धर्म की लड़ाई ना लड़के हर इंसान खुद की कमियों को पहचान कर खुद मैं परिवर्तन करके  जब हर व्यक्ति देगा राष्ट्र के निर्माण में योगदान तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत।

 जब इंसान को होगा यह एहसास कि वह इस दुनिया में है। सिर्फ चंद दिनों का मेहमान यह पैसा यह दौलत ये शोहरत रिश्ते व नाते सब छूट जाने हैं। देह ने जलकर राख हो जाना है तो क्यों ना हो उस  सत्य से जुड़कर जीवन का सही उद्देश्य जानेगा तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत।

जब इंसान भगवान वा अल्लाह को अंधविश्वास कर्मकांड झाड़-फूंक वशीकरण में ना ढूंढ कर उनके होने का एहसास हर पल साथ होगा तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत होगी। फिर यह दुनिया खूबसूरत।

 जब इंसान सिर्फ इंसान होगा पति ना देवता होगा। बच्चे ना भगवान होंगे जब उसमें किसी और का कुछ भी नहीं होगा ना सुख होगा ना दुख होगा जब वह खुद में ही संपूर्ण होगा। तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत तब होगी फिर यह दुनिया खूबसूरत।

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