पिता (कविता-9)
जीवन के अनुभवों की खान पिता धूप पिता , छांव पिता मां है धरती तो आसमां पिता सर उठा कर गर्व से चल पाऊ जिस से पाया है वो ज्ञान पिता कैसे धन्यवाद करू पिता का मेरे जीवन का अभिमान पिता शत शत नमन मंगला का कर लो स्वीकार पिता मन में भाव छुपाएं लाखों…