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कोरोना

कोरोना ने आज करा दिया सबको ये एहसास। धन दौलत सब मिथ्या,ना रहेगा कुछ भी पास।। जीवन मे सब कर लो , अब प्रभु से ये अरदास। सबको रखना सुरक्षित,सबको अपनो के पास।। सबकुछ अब तुम त्याग दो,करो घर मे निवास। कोरोना अगर हो गया , कोई ना आयेगा पास।। आपस की दूरी बढ़ी ,…

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प्रधान मंत्री जी की ललाट पर चिंता की रेखाएं

Doctor Sudhir Singh प्रधानमंत्री जी की ललाट पर चिंता की रेखाएं,130करोड़ जनता की परेशानी बयां करती हैं,दूरदर्शी राष्ट्रनायक  चुनौतियों से घबराता नहीं,खतरों से खेल लेने की उनकीआदत हो गई है. दुनिया के लिए ‘कोरोना’आज गंभीर खतरा है,धर्म-जातिऔर सरहद से उसका नहीं वास्ता है.जाल में वह फंसाता हैअमीर-गरीब सबको ही,असावधान इंसान का ही वह शिकार करता…

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नियति ने सर्वोत्तम कृति से कैसा अजब खेल खेला है समूची प्रकृति उठान पर और मानव भयातुर अकेला है

(Smt Kavita Malhotra)विकास के नाम पर समूचा विश्व जिस गति से आगे बढ़ रहा था, आज उसकी रफ़्तार थम सी गई है। न तो कोई कारण ही किसी की पकड़  में आ रहा है न ही अब तक कोई निवारण हाथ आया है।कारण जो भी हो एक बात तो तय है कि समूचे विश्व से…

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गीत – मुझे न भुलाना

अगर छोड़कर चल दिए हम जमाना। मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना। अगर छोड़ दें साथ साँसे भी मेरा। कहाँ फिर रहे साथ मेरा और तेरा।। मेरे जीते जी साथ कुछ पल बिताना। मेरे दोस्तो तुम मुझे न भुलाना। हम रहे न रहे जिंदा बातें रहेंगी। हम बसते थे दिल में तब यादें बसेंगी।। भुला…

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हे प्रभु बैठी हूं फिर से लिखने

हे प्रभु बैठी हूं फिर से लिखने और पूछती हूं आपसे एक सवाल क्या यह अंत है या मचा हुआ है कोई और बवाल क्या इंसान अपनी करनी पर पछताएगा या बिना पश्चाताप किए ही मर जाएगा क्या कुछ ऐसा है जिसे आप बता रहे हो या फिर बिना कुछ कहे ही दुनिया को डरा…

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डरना नही

  मुसीबतें तो  आएगी   पर फिसलना तुम नहीं।   जिन्दगी तो ये सतायेगी   मगर तुम डरना  नहीं।  बड़े बड़े चले आते यहां  कष्टों केभी पहाड़ कभी।  दोस्ती को भुला कर के  साधते हैं दुश्मनी सभी।  लेता है जीवन परीक्षाएं   कभी तो बड़ी से बड़ी।  जूझते रह जाते उनसे  अड़चनें जो आन पड़ीं।  जिन्दगी…

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स्वयं को पहचान लो

 कुछ ठान लो अपने मन में,                 आ स्वयं को पहचान लो।  भीड़ भरी इस दुनिया में,             तुम भीड़ नहीं हो जान लो।  चलो प्रकृति की गोद में,             फिर खुशियों की कुटी छवायें।  वादियों के आँगन में,     …

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आश्चर्य (लघुकथा)

आज सुबह जितेश का फ़ोन आया; हिमांशु ने फ़ोन रिसीव किया बोला: हेल्लो, क्या हालचाल जितेश, कैसे हो ?जितेश बोला; क्या भाई तबियत खराब है ?”भाई जितेश तुम अब बार-बार बिमार कैसे हो जाते हो ?” हिमांशु ने पूछा ! “भाई याद है मुझे आज भी वह दिन जब मै बच्चा था,और गाँव में रहता था…

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अधूरे ख़्वाब

अधूरे ख़्वाब की ताबीर हूँ मैं कहीं ख़यालों की तेरे तस्वीर हूँ मैं कहीं।। लम्हा-लम्हा तू साथ रहता मेरे। तेरे जीवन की जागीर हूँ मैं कहीं।। हो मुक़म्मल मेरी भी हस्ती कभी। रंग लाती मुहब्बत की तासीर हूँ मैं कहीं।। जर्रे-जर्रे में तेरा अक्स दिखता मुझे। रहगुज़र की तेरे तक़दीर हूँ मैं कहीं।। चलती रहती…

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प्रधानमंत्री जी की मुरीद सारी दुनिया है

प्रधान मंत्री जी का मुरीद सारी दुनिया है,एक-एक इंसान  उनको नमन कर रहा है.जो लोग विश्व-हित में शुभ-कार्य करते हैं,इतिहास उनको  युगों तक याद रखता है. ‘कोरोना’ के जाल मेंआज फंसा है संसार,उससे उबर जाना अब बहुत ही जरूरी है.अन्यथा प्रगति की  गति ही रूक जायेगी,विकास से सबकी तकदीर जुड़ी रहती है. संकट की घड़ी…

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