प्रकृति का रंग
Dr Rajni Yadav प्रकृति का ये रंग लाजवाब था इंसान घरो में कैद और बेजुबान आज़ाद था हवाएँ यू महकने लगी कोयले पेड़ो पर चहकने लगी नदिया इतनी साफ थी जमीन को आसमान से मिलने की आस थी जो डर अब तक मुर्गियों,मछलियों और बेजुबानो कीआंख में था उसकी झलक इंसानो में साफ़ थी यू…