चले जा रहे हैं
फिर वही दहशत है, फिर वही आलम, प्रवासी मजदूरों का घर को पलायन बड़ी बेबसी दिख रही हर तरफ है न दिन-रात की उनको चिन्ता सताती चले जा रहे … … वे चले जा रहे हैं। किधर तुम, कहाँ जा रहे मेरे भाई रुको तुम वहीं, अपनी हिम्मत न हारो कुछ धीरज धरो,घर में हो…