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वाराणसी से पीएम ने देश को समझाया बजट का फायदा, पढ़ें भाषण की प्रमुख बातें

धानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर दूसरी बार शपथ लेने के बाद वह दूसरी बार वाराणसी पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्होंने देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 18 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने आनंद कानन पौधारोपण कार्यक्रम की शुरुआत की।उन्होंने काशी से भाजपा के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान का आगाज किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा बजट में आए पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी को समझाया। उन्होंने लोगों को बजट की विशेषताएं गिनवाईं। पढ़ें उनके भाषण की मुख्य बातें।

  • काशी की पावन धरती से देशभर में मैं भाजपा के हर समर्पित कार्यकर्ता का अभिवादन करता हूं। आज मुझे काशी से भाजपा के सदस्यता अभियान को शुरु करने का अवसर मिला है।
  • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को मैं आदर पूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं। ये संयोग है कि ये भवन पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के नाम पर है और इस कार्यक्रम का शुभारंभ हमारी काशी से शुरु हो रहा है यानि एक त्रिवेणी बनी जिस पर हम सदस्यता अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।
  • कल आपने बजट के बाद टीवी पर और आज अखबारों में एक बात पढ़ी सुनी और देखी होगी- वो है पांच डॉलर ट्रिलियन अर्थव्यवस्था। इस फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य का मतलब क्या है? एक आम भारतीय की जिंदगी का इससे क्या लेना-देना है, ये आपके लिए, सबके लिए जानना बहुत जरूरी है।
  • इसके विषय में जानना सबके लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि कुछ लोग हैं जो हम भारतीयों के सामर्थ्य पर शक कर रहे हैं, वो कह रहे हैं कि भारत के लिए ये लक्ष्य प्राप्त करना बहुत मुश्किल है।
  • वो जो सामने मुश्किलों का अंबार है, उसी से तो मेरे हौसलों की मीनार है। चुनौतियों को देखकर, घबराना कैसा। इन्हीं में तो छिपी संभावना अपार है। विकास के यज्ञ में जन-जन के परिश्रम की आहुति, यही तो मां भारती का अनुपम श्रृंगार है। गरीब-अमीर बनें नए हिंद की भुजाएं, बदलते भारत की, यही तो पुकार है। देश पहले भी चला, और आगे भी बढ़ा, अब न्यू इंडिया दौड़ने को तैयार है। दौड़ना ही तो न्यू इंडिया का सरोकार है।
  • बात होगी हौंसले की, नई संभावनाओं की, विकास के यज्ञ की, मां भारती की सेवा की और न्यू इंडिया के सपने की। ये सपने बहुत हद तक फाइव ट्रिलियन इकॉनमी के लक्ष्य से जुड़े हुए हैं।
  • अंग्रेजी में एक कहावत है कि साइज ऑफ द केक मैटर्स, यानि जितना बड़ा केक होगा उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों को मिलेगा। अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी जितना बड़ा होगा, देश की समृद्धि उनती ही ज्यादा होगी।
  • आज जिस लक्ष्य की मैं आपसे बात कर रहा हूं वो आपको नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर करेगा, नया लक्ष्य और नया उत्साह भरेगा। नए संकल्प और नए सपने लेकर हम आगे बढ़ेंगे और यही मुश्किलों से मुक्ति का मार्ग है।
  • आज ज्यादातर विकसित देशों के इतिहास को देखें, तो एक समय में वहां भी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा नहीं होती थी। लेकिन इन देशों के इतिहास में एक दौर ऐसा आया, जब कुछ ही समय में प्रति व्यक्ति आय तेजी से बढ़ी। यही वो दौर था जब ये देश विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में आए।
  • जब किसी भी देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो वो खरीद की क्षमता बढ़ाती है। खरीद की क्षमता बढ़ती है तो मांग बढ़ती है। मांग बढ़ती है तो उत्पादन बढ़ता है, सेवा का विस्तार होता है। यही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, उस परिवार की बचत को भी बढ़ाती है।
  • प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी तो विकास होगा। आय बढे़गी तो खर्च बढ़ेगा और मांग बढ़ेगी, मांग बढ़ेगी तो उत्पादन भी बढ़ेगा और सर्वांगीण विकास होगा। आज देश खाने-पीने के मामले में आत्मनिर्भर हैं तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ देश के किसानों का पसीना है, सतत परिश्रम है।

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