(लघुकथा ) नाच न जाने आंगन टेड़ा
“रमा. ..ओ रमा’
‘आई’ कहती हुई रमा किचन से निकल कर बाल्कनी की तरफ आगे बढ़ी। पड़ोस के शर्मा जी हर रविवार को सुबह दस /ग्यारह बजे आ धमकते है और चाय पकौड़े ठूसते है…. रमा मन ही मन झल्लाती हुई आ पहुंची!
“क्या है? कितना काम पड़ा है रसोई में! घर में भी झाड़ू पोछा करना है। कामवाली आज फिर नहीं आई … ओहो शर्मा जी! कब आए ?” रमा ने झूठी मुस्कान के साथ पूछा!
“बस, भाभी अभी अभी आया हूँ!” शर्मा जी ने हाथ जोड़े।
“हां इसीलिए बुलाया था, जरा चाय मिल जाती तो ….” आनंद ने झिझकते हुए कहा।
“अभी थोड़ी देर पहले ही तो चाय-नाश्ता किया था! इतना सारा काम पड़ा है। थोड़ा हाथ नहीं बंटा सकते तो थोड़ा कहीं घूम आओ! शर्माजी के वहां क्यों नहीं जाते? उन्हे भी अच्छा लगेगा। हमेशा उन्हे ही आना पड़ता है!” रमा ने कहा। आनंद को समझ आ गया कि रमा का पारा गर्म हो चुका था।
“अरे, ऐसी कौन सी बड़ी बात है! आज मैं चाय पकौड़े बनाकर सबको खिलाऊंगा।” आनंद ने न्यूज पेपर शर्माजी को थमाया और खुद रसोई की तरफ बढ़ गया। रमा ने एक तिरछी नजर डाली और कमरा साफ करने लगी। आनंद ने चाय का पानी गैस पर चढ़ाया और बेसन ढूंढने लगा। रमा आई और खटाक से बेसन का डब्बा, तेल ,कड़ाई, प्याज और मसाला सामने लाकर रख दिया। उसका सूजा मुँह देखकर आनंद गुनगुनाने लगा ‘ देखो रुठा ना करो, बात नजरों की सुनो ….’
रमा मुस्करा दी और किचन से बाहर आ गई। थोड़ी देर बाद आनंद ने आवाज लगाई–
“आ जाओ मित्र, पत्नी जी….चाय पकौड़े तैयार है–”
रमा खुश हो गई। चलो आज पहली बार पतिदेव ने कुछ पकाया है! साॅस की बोतल से साॅस डालती रमा ने कहा–
“आज तो मैं भी साथ बैठकर रविवार का मजा लुंगी!”
पकौड़े के पहले निवाले को निगलना मुश्किल हो गया था, बेशुमार नमक जो था! चाय भी ठंडी थी।
“नमक ज्यादा पड़ गया आनंद जी !” शर्माजी बोले।
“हां, हाथ में गीला बेसन लगा था तो शायद नमक ज्यादा चिपक गया!” आनंद ने कहा!
“और चाय! यह भी ठंडी!” रमा बोली
“अरे गैस ठीक से जलता ही नहीं, जाने कैसे खाना पकाती हो!” आनंद नजरे चुराकर बोला।
“आप लोग खाओ, मैं चली!” रमा बिखरे किचन को समेटने चली गई।
दोनों मित्रों ने उसे जाते जाते कहते सुना, “नाच न जाने, आंगन टेड़ा!”
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रुनू बरुवा ‘रागिनी’ ©️
(परिचय )
– डा°(मा) रुनू शर्मा बरुवा “रागिनी तेजस्वी” का परिचय –
श्रीमती रुनू शर्मा बरुवा का जन्म डिब्रुगड़ में एक असमिया परिवार में सन् 1954 में हुआ | इनके पिता का नाम स्वर्गीय फणीधर शर्मा एवं माता का नाम तिलोत्तमा शर्मा है |
जोरहाट (असम) के डी. सी. बी. कालेज से इन्होनें अंगरेजी में सम्मान सहित बी. ए. पास किया | शार्टहैंड और टाइपिंग में भी डिप्लोमा लिया। सन् 1980 से यह असम सरकार के पब्लिक वर्कस डिपार्टमेंट में कार्यरत थी और अब अवकाशप्राप्त है | इनके पति श्री श्रीप्रकाश बरुवा एक उद्योगपति तथा समाज सेवक है | इनके दो पुत्र, एक बहू एवं दो पोते है | एक पुत्र व्यवसाय में है और दूसरा विदेश में पीएचडी कर रहा है |
यह इंडियन रेड क्रास सोसाइटी, लायन्स क्लब इंटरनेशनल, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अखिल हिन्दी साहित्य सभा और पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी की आजीवन सदस्या है ।
पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी(शिलांग ) की सदस्या, पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी(तेजपुर ) की जोरहाट प्रतिनिधि भी है।
लायन्स क्लब जोरहाट की पूर्व अध्यक्षा, पूर्वाशा हिन्दी अकादमी (जोरहाट) की संस्थापिका अध्यक्षा और राष्ट्रीय महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्वोत्तर सात राज्यों तथा सिक्किम की प्रभारी भी हैं ।
युरोप के राष्ट्र इंग्लैंड, बेल्जियम, हालैंड, नेदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली आदि तथा अमेरिका, आस्ट्रेलिया,जापान, थाइलैंड, सिंगापूर, श्रीलंका,हांगकांग, ताइवान और रुस देशों का भ्रमण कर चुकी है |
प्रकाशित पुस्तकों के नाम= 1)श्रद्धार्घ, 2)परछाई, 3)खाइये खिलाइयें असम के व्यंजन, 4)गुलदस्ता, 5)गणतन्त्र संवाद, 6)असम के शाकाहारी व्यंजन और रीति-रिवाज 7) काव्यार्घ और 8) लम्हों में जिन्दगी। असमिया में प्रकाशित पुस्तकों के नाम है – 9)प्रेमोर प्रहेलिका और 10)आप्यायन | दो सांझा अनुवाद संकलन (हिंदी और असमिया में) तथा हिंदी में अनगिनत सांझा संकलन छप चुके है और कई छप रहे है। समाचार पत्र और विभिन्न पत्रिकाओं में हिंदी और अंगरेजी में इनकी कविताए, कहानी, लघुकथा, संस्मरण और लेख करीब 25 वर्षो से छपते रहे है |
इन्हे विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपूर से सन् 2011 में *(विद्यावाचस्पति (मानद डाक्टरेट) की उपाधी अधिकृत की गई | 2016 में इन्हे पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी (तेजपुर ) ने विशेष सम्मान से नवाजा | नवम्बर 2016 में इन्हे सिद्धार्थ तथागत कला -साहित्य संस्थान द्वारा अन्तराष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया | 2016 में नूतन साहित्य कुञ्ज ने ” रागिनी” तथा ‘सखी साहित्य’ ने ‘तेजस्वी ‘ उपनाम से अलंकृत किया । 21 मई, 2017 में मध्य प्रदेश के तुलसी साहित्य अकादमी तथा 27 मई,2017 में इन्हे पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग(मेघालय ) ने साहित्य सम्मान से नवाजा और 9 जुलाई 2017 गुड़गांव में नायाम सखी साहित्य ने सखी गौरव सम्मान से सम्मानित किया है । के.बी.एस. प्रकाशन (दिल्ली ) ने इन्हे सरस्वती सम्मान, अर्णव कलश एसोसिएशन (कलम की सुगंध ) ने साहित्य के दमकते दीप साहित्यकार सम्मान 2017 और बाबू बालमुकुंद गुप्त हिन्दी साहित्य सेवा सम्मान से नवम्बर 2017 में नवाजा । *अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य श्री सम्मान , साहित्य गौरव सम्मान, मात्सुओ ‘बासो’ सम्मान, सरस्वती सम्मान आदि आपको 2018 में अबतक मिल चुके है। अर्णव कलश एसोसिएशन के राष्ट्रीय साहित्यिक मिशन द्वारा आयोजित हाइकू प्रतियोगिता सितम्बर 2018 में आपने *प्रथम विजेता का स्थान प्राप्त किया।
सखी महोत्सव 2019 में साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान से सम्मानित, कलम की सुगंध द्वारा वीरांगना रत्न सम्मान 2020 से सम्मानित हुई हैं। ,उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 2020 का प्रतिष्ठित पुरस्कार *सौहार्द सम्मान (ताम्रपत्र तथा 2.5 लाख रुपए) से आपको सम्मानित किया गया।
अनुराधा प्रकाशन ने काव्योत्सव 2022 में हिन्दी दिवस (14 सितम्बर 2022) के अवसर पर यू ट्यूब पर आयोजित कार्यक्रम के लिए हिन्दी विशिष्ट सेवी सम्मान से नवाजा है।
लायन्स क्लब 322D की मैग्जीन The Eastern Lion की आप एसोसिएट एडिटर भी रह चुकी है ।पूर्वाशा पत्रिका की आप मुख्य संपादिका है।
आपने 22/9/19 में अपनी रुस यात्रा के समय महिला काव्य मंच और पूर्वाशा हिन्दी अकादमी की शाखा मास्को (रुस) में खोली।
नरकास (नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति) भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘अनुनाद’ पत्रिका (2020 और 2021) की आप अतिथि संपादक रही।
14 सितम्बर 2022 को युको बैंक प्रणीत रुपकुंवर ज्योतिप्रसाद अगरवाला भाषा सेतु सम्मान से आपको सम्मानित किया गया। नवम्बर 2022 में आपको विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ ने ‘विद्यासागर’ (मानद डी लिट) प्रदान कर सम्मानित किया।