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मानसिक स्वास्थ्य के प्रति रहें सचेत

तनाव, चिंता और दुःख जैसी अनेक भावनाओं का हम सभी अनुभव करते हैं, और अधिकांश समय ये भावनाएं जल्दी से समाप्त भी हो जाती हैं लेकिन कुछ लोगों के लिए यह भावनाएँ अधिक जटिल बनी रहती हैं और जीवन की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। तब इसका निदान करना जरूरी हो जाता है।

इस बारे में सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ शशांक शर्मा कहते हैं कि सामान्य परिस्थितियों में भी, हम में से कई लोग तनाव या मनोवैज्ञानिक संकट के किसी न किसी रूप में पीड़ित होंगे लेकिन कोविड-19 ( COVID-19)  के अकस्मात् उद्भव से हमारे जीवन पर इसका प्रभाव हुआ तथा तनाव और चिंता का एक प्रमुख कारण बन गया है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये कठिन समय बीत जाएगा और जीवन सामान्य हो जाएगा। यदि आप तनावग्रस्त या चिंतित महसूस कर रहे हैं, तो सबसे अच्छी बात यह है कि किसी से बात करें, वार्तालाप करें और मदद लें।​​ सुरक्षित रूप से लोगों के बीच रहें और मन को हल्का रखने के लिए अपनी पसंद के कार्य करें।

आम लक्षण

कुछ सामान्य ‘चेतावनी’ पूर्वसंकेत जो एक मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा व्यक्ति अपने स्वभाव में स्वानुभव करता है, वह निम्नांकित हैं।

चिड़चिड़ापन, तनावग्रस्त और अशांत महसूस करना। बहुत सारा समय अकेले बिताने की कोशिश और सामाजिक स्थितियों का सामना न करने की चाह। थकावट और खिन्नता। आराम करना या ध्यान केंद्रित करना कठिन होना। खुद के बारे उदासीनता या बुरा महसूस करना। अस्वास्थ्यकर खाना पीना और भोजन का त्याग और लंघन। अपर्याप्त निद्रा, स्लीपिंग पैटर्न का अटपटा होना या सामान्य समय से विलंब से जागना। आशाहीन, निराशाजनक और असहाय महसूस करना। खुद को नुकसान पहुंँचाने का विचार या स्वयंक्षति। चिंतित, भयभीत, घबराया हुआ या तनावग्रस्त, उत्साहहीन महसूस करना। शारीरिक लक्षण जैसे पसीना, शरीर का कांँपना, चक्कर आना या तेजी से दिल की धड़कन बढ़ जाना इत्यादि। अगर आपके परिवार में से पहले किसी को अवसाद रहा है, जैसे कि माता पिता, भाई और बहन तो आप में भी अवसाद होने की अधिक संभावना है।

उपचार

अगर समस्याएँ बनी रहें तो काउंसिलिंग करवाने में देर न करें। आपका इलाज इस पर आधारित होगा कि आपको अवसाद किस तरह का है- हल्का, मध्यम या गंभीर। टॉकिंग थेरेपी और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी(CBT) जैसे उपचारों का इस्तेमाल अक्सर हल्के अवसाद के लिए किया जाता है। परेशानी अधिक बढ़ चुकी हो तो एंटीडिप्रेसेंट्स (अवसाद रोधी दवाओं) का भी सहारा लेना पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य टीम की निगरानी में रखना भी एक विकल्प है। हालाँकि ये बहुत बिगड़ चुके केसेज में किया जाता है।

घबराएँ नहीं, मुकाबला करें

जीवन जीने के ढंग में बदलाव करने से, अधिक व्यायाम करने से, शराब व धूम्रपान छोड़ने से और स्वस्थ खान-पान अपनाने से अवसाद पीड़ित कई लोगों को फायदा होता है। दूसरों के साथ अपने अनुभवों को बाँटना भी बहुत सहायक हो सकता है। अच्छी और सकारात्मक बातों में ध्यान लगाएँ और खुश रहने की कोशिश करें।

डॉक्टर शशांक शर्मा

सीनियर फिजिशियन

कंसल्ट डॉक्टर बाला जी हॉस्पिटल

संकल्प हॉस्पिटल रायपुर, छत्तीसगढ़

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