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अभी तो कई खिसकेंगे , यह तो बस शुरुआत है !

उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उथल पुथल तेज हो गई है । जैसे – जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही हैं, विपक्ष और पक्ष के खेमे के सेनापति खेमा बदलना शुरू कर दिए हैं । जिसकी शुरुआत मंगलवार को बसपा से आए भाजपा में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कर दी । पांच वर्ष मंत्री रहकर सत्ता की मलाई खा चुके मौर्य ने मंगलवार को  अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी का दामन थामने का फैसला कर लिया है शायद  । उनके पीछे पीछे वन राज्य मंत्री दारा सिंह चौहान जी भी भाजपा का दामन छोड़ने को तैयार हो गए है । समाजवादी पार्टी में सम्मिलित होते ही हकलाने वाले ये दोनो  दिग्गज अब भाजपा को भला बुरा सुनाएंगे । मौर्य तो  अपनी बेटी को टिकट दिला चुके थे, वह अब सांसद है  और अब  स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए जिद पर अड़े थे शायद । इस कीमत पर  कोई भी समझौता करने को तैयार वो । आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्र मौर्य पहले से चुनावी समर में कुशल खिलाड़ी के रूप में जानी जाती है । पिछड़ी जाति के  विकास के नाम पर आ रहा सिगुफा  है जो  पार्टियों को ब्लैकमेल करना शुरू किया है और अब नई पार्टी के रूप में समाजवादी पार्टी से जुड़ने के बाद अगली रणनीति के तहत स्वामी प्रसाद मौर्य निश्चित तौर पर विपक्ष में दिखाई देंगे।   भाजपा की नीतियां , अब उन्हे किसान विरोधी लगेगी ।  मोदी योगी  ने देश को बर्बाद किया है ऐसे बहुत से जुमले स्वामी प्रसाद मौर्य  समाजवादी पार्टी में जाकर छोड़ेंगे । माना  जाता है कि   यह घटनाएं नई नहीं है अक्सर यह देखा जाता है दल बदल कर के आए ऐसे ही नेताओं को पार्टियां सीधे मंत्री बना देती है या टिकट देती है जो पुराने कार्यकर्ताओं और मेहनती जमीनी नेताओं के साथ अन्याय होता है ,और सरिता की राजनीति कर रही भाजपा सपा कांग्रेस और बसपा इन समस्याओं से लगातार जूझ रही है ।  एक दूसरे  के सेनापति को अपने खेमे में शामिल करने की इस कदर बढ़ गई है कि यह सोचने को तैयार नहीं है जिन कार्यकर्ताओं के बलबूते पर पार्टी खड़ी है ,उनके ऊपर ऐसे दलबदलू को तरजीह देकर इन्हें मंत्री बनाना कितना जायज है । 5 साल मंत्री पद की मलाई खाने के बाद पार्टी बदल लेना इनके खून में रचा बसा होता है ,भाजपा भी ऐसा कर चुकी है इसलिए भाजपा के साथ ऐसा हो रहा है । भाजपा ने भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ बहुत धोखा किया है।   पुराने कार्यकर्ता काफी नाराज चल रहे हैं ब्राह्मण लाबी भी पहले से भाजपा से टूटी हुई है, ऐसे में अब भाजपा के लिए राह और मुश्किल हो जाएगी।  स्वामी प्रसाद मौर्य, मौर्य जाति के कुछ प्रतिशत को अपनी तरफ खींचने में सफल हो गए तो भाजपा के माथे पर बल पड़ सकता है ऐसे ही लोग ब्लैकमेल करके सभी पार्टियों में मलाई खाते हैं ।

                    5 राज्यों में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे । 10 मार्च को पांचों राज्यों में वोटों की गिनती भी होगी । यूपी में 10 फरवरी को पहले फेज का चुनाव,14 फरवर को दूसरे फेज में डाले जाएंगे वोट,तीसरे फेज के लिए 20 फरवरी को मतदान,23 फरवरी को चौथा फेज, 27 फरवरी को 5वां विधान सभा चुनाव 2022 । अब इस ट्वेंटी ट्वेंटी टू मैच में  चुनाव आयोग ने आज से 15 जनवरी तक रोड शो, रैली, साइकिल रैली पद यात्रा तक रोक पूर्ण रुप से रोक लगा दी है ।15 जनवरी के बाद पर इस पर विचार किया जाएगा । एक सोशल मीडिया के सक्रिय यूजर्स ने लिखा कि चुनाव आयोग की घोषणा के मोटे मोटे निहितार्थ कि कैंडिडेट एक नम्बर में चालीस लाख तक और दो नम्बर में करोड़ो खर्च कर सकते,ये चालीस लाख कहाँ से लाये ये बताना क़त्तई बाध्यकारी नहीं है,गमले में गोभी टाइप तर्क भी चलेंगे, कैंडिडेट द्वारा किये गए अपराधों की सूचना देना है । रैलियों पर रोक लगा दी गयी है इससे इवेंट वाले उन लोगों के आर्थिक हितों पर गहरी चोट लगी है जो मोटा माल लेकर नेता के लिए भीड़ जुटाया करते थे साथ ही उन व्यक्तियों का भी भारी नुकसान होगा जो पांच सौ लेकर ट्रेक्टर ट्राली में लद कर भाषण सुनने जाते थे, इसके अलावा दारू चिखना वालों का भी भारी नुकसान होगा जो इन पांच सौ से खरीदी जाती थी। रैली नामांकन भले ही डिजिटल हो जाएं पर वोट डालने की प्रक्रिया वही होगी, वो कभी डिजिटल नहीं होने वाली, अंगुली में सियाही जरूर लगाई जाएगी। रैली पर रोक है,पर मुर्गा दारू पर कोई रोक नहीं है, हां उसे बड्डे पार्टी आदि का रूप देना होगा। वोटरों को पैसा बांटने पर भी कोई रोक नहीं है, आशंका थी कि शायद यह लेन देन डिजिटल हो जाये।प्रत्याशियों के कूद के इस दल में, यहां से टिकट कटने के उपरांत कूद के उस दल में जाने पर भी कोई रोक नहीं है।चुनावी हिंसा पर भी कोई स्पष्ट रोक नहीं है, सुविधनुसार मौका मुकाम देखकर की जा सकती। जहरीले बयान देने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है,सरकारी कर्मचारियों की आफत में इस बार भी कोई कमी नहीं आने वाली, चांप के ड्यूटी लगाई जाएगी, अवहेलना करने पर तत्काल गैर जमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। चुनाव प्रचार गाड़ी जिसपर भोंपे लगा कर प्रचार किया जाता है पर देश भक्ति गीत बजाने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। हे हाथी घोड़े वाले प्रचार पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है, मोटी रकम लेकर टिकट बेचने की प्रक्रिया पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है। इस बार भी उम्मीदवारों की मिनिमन शैक्षिक योग्यता की कोई शर्त नहीं है, अंगूठा टेक बन्दा भी चौड़े से चुनाव लड़ सकता, इसके अलावा जैसी कि आशंका थी कि पूर्व में फर्जी डिग्रियों के कारण कुछ सदस्यों की सदस्यता जाने के कारण इस बार डिग्रियों का वेरिफिकेशन होगा पर ऐसा नहीं हुआ, ये सब नाटक नौटंकी बस शिक्षक भर्ती के लिये ही रहेगी। कैंडिडेट की अधिकतम उम्र की भी कोई बाध्यता नहीं है,कितना भी उम्रदराज कैंडिडेट हो, बस उसे या उसकी पार्टी को लगता हो कि वह जीवित है तो वह चौड़े से चुनाव लड़ सकता।

             ___ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।

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