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क़लम से कलाम के दफ़्तर तक

कविता मल्होत्रा (वरिष्ठ समाजसेवी एवं स्तंभकार -उत्कर्ष मेल)

क़लम से कलाम के दफ़्तर तक पहुँचना हर किसी के बस की बात नहीं है।जिस क़लम की बुनियाद में सँस्कृति के बीज फलित होते हैं और मानवतावादी फ़सल का अँकुरण होता है, उस क़लम को ही साहित्यिक समाज में उच्चकोटि  का सम्मान मिलता है।

मानव मूल्यों को समर्पित अनुराधा प्रकाशन के सँपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण’ ने क़लम उठाई और लिख डाली प्रेम की पाती राष्ट्रपति जी के नाम।

ये कोई साधारण प्रेम पत्र नहीं था, ये लेखन था, एक यथायोग्य साहित्यकार को पहचान दिलाने के लिए, ये लेखन था, मानवता की सेवा के लिए, ये लेखन था, साहित्य समाज को समर्पित मनमोहन शर्मा की प्रतिबद्धता के लिए, ये लेखन था, ईश्वर की अनुकँपा के लिए, ये लेखन था निस्वार्थता की अभिव्यक्ति के प्रमाण के लिए, जिसे मँज़िल तक पहुँचने से कोई तूफान नहीं रोक सकता था।प्रतीक्षा की घड़ियाँ ख़त्म हुईं और प्रियतम से मिलन का वक्त तय हुआ।परिणाम सँपूर्ण साहित्य समाज के समक्ष है।

नवोदित रचनाकारों को अपने प्रकाशन के माध्यम से मँच प्रदान करने वाले मनमोहन शर्मा जी ने निस्वार्थता का एक नया आयाम गढ़ा है, जो जीवन मूल्यों को समर्पित उनकी भावना का साक्षात उदाहरण है- अपने प्रकाशन में प्रकाशित  आदरणीय सुधीर सिंह जी की पुस्तक- “ बापू तेरे देश में” को एैसी जगह पर पहुँचाना जो किसी भी लेखक के लिए गौरव का विषय हो सकता है, ये काम सिर्फ मोहन की शरण में रहने वाले मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी ही कर सकते थे।मनमोहन शर्मा जी को उनकी निस्वार्थ सोच और उत्कृष्ट कृत्य के लिए हार्दिक बधाई देती हूँ।

आदरणीय सुधीर सिंह जी द्वारा रचित पुस्तक- “बापू तेरे देश में” के लोकार्पण के लिए,राष्ट्रसेवी मनमोहन शर्मा जी की,देश के राष्ट्रपति श्री कोविंद जी से मुलाकात, और पाक्षिक समाचार पत्र “उत्कर्ष मेल” की भेंट, समस्त अनुराधा प्रकाशन परिवार के लिए गौरव का विषय है।आदरणीय सुधीर सिंह जी द्वारा रचित पुस्तक को पहले मोरारी बापू जी के कर कमलों द्वारा लोकार्पित करते हुए,आस्था चैनल पर  सीधे प्रसारित किया गया था।अब राष्ट्रपति जी के हाथों राष्ट्रपिता बापू पर लिखित पुस्तक का विमोचन और पुस्तक के प्रकाशक मनमोहन शर्मा जी के साथ राष्ट्रपति जी द्वारा जीवन मूल्यों पर की गई चर्चा, अनुराधा प्रकाशन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

जो राष्ट्र का गौरव बनी उस क़लम को सलाम

रहती दुनिया तक रहे सुधीर सिंह जी का नाम

उत्कृष्ट लेखनी को समस्त परिवार का प्रणाम

सपना नहीं ये हक़ीक़त की किरणों का जमाल है

हर लेखक बुनता जिन ख़्वाबों को,ये वो ख़्याल है

क़लम को कलाम तक पहुँचाना वाक़ई कमाल है

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