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पेगेसस से भी खतरनाक अवसरवादी नेता

ब्राह्मण सम्मेलन क्युकी ब्राह्मणों को उलझाना है । ईद पर टोपी क्युकी मुसलमानों को टोपी पहनाना है ,ये सब नेताओं का चाल चरित्र है । ये नेता तो इतने गिरे है कि डकैत फूलन देवी तक को माला फूल पहनाकर सोशल मीडिया पर परोश रहे , उससे भी ज्यादा शर्मनाक रहा जब मियां खलीफा की भारत में आरतियां उतारी गई । अभी हाल फ़िलहाल में पेगेसस काफी तेजी से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था और जो हमारे देश के लिबरल है चिल्ला रहे थे मोदी सरकार हमारे पर्सनल लिबर्टी और अभिव्यक्ति की आजादी  छीन रही है मोदी सरकार ! हमारे ऊपर जासूसी करा रही है मोदी सरकार हम पत्रकार से नहीं डरते पर पेगेसस  से डरते है । सरकार राजनीति में डर कर हमारी जासूसी करा रही है।अखिर ये पेगैसिस स्पाइवेयर है क्या आज इसके बारे में जानते हैं यह है क्या और इसे बचा कैसे जा सकता है, ये लिबरल लोग इसके बारे में इतना चिल्ला क्यु रहे हैं। यह सबका जवाब एक असान शब्दों में बताते है हम आप को ,कुछ साल पहले इस्राइल के सोफ्टवेयर कम्पनी एन एस ए ने पेगेसस स्पाइवेयर बनाया स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेर होता है, जो आप के मोबाइल मे आप के लैपटॉप मे कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है उसके बाद आप के जितने भी पर्सनल इन्फॉर्मेशन होते हैं। जैसे आप का नाम आप बैंक डिटेल आप का पर्सनल चैट मेल जितने भी पर्सनल इन्फॉर्मेशन है इन सबको यह एकत्र करता है और उस हैकर के पास भेज देता है जिस हैकर ने आप के मोबाइल या लैपटॉप मे स्पाईवर इंस्टाल किया होता है। एन एस ओ ने यह सोफ्टवेयर आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाया था जो लोग स्लीपर सेल होते हैं आतंकवादियो के लिए काम करते हैं उनका मोबाइल ट्रैक करने के लिए और वो लोग किन किन लोगों से बात करते हैं क्या बाते करते हैं ईन सब को जानने के लिए इस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर को बनाया था और इस स्पाइवेयर का कोई गलत ईस्तेमाल ना कर सके इसी लिए इस्राइल के इस कंपनी एन एस ओ ने इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों के कुछ चुनिंदा एजेंसी को ही बेचा है ,वही लोग इनके क्लाइंट भी है।

                एक उदाहरण से समझिए मान लीजिए मैं एक इनवेस्टीगेटींग अधिकारी हू और मुझे ये शक है कि आप आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है आप का उन लोग से कुछ ना कुछ लेना देना है तो भी मैं आप का नंबर निकालूँगा उसके बाद मैं अपने एजेंसी के हेड के पास जाऊँगा जो भारत सरकार से यह परमिशन लेगा की मुझे आप के मोबाइल मे यह सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर के आप के डेटा को निकालना है फिर यह एजेंसी एन एस ओ के पास जाएगी जो डॉक्यूमेंट को वेरीफाईड करने के बाद

वो सॉफ्टवेर को उनको देंगी और उसके बाद मैं आप के ऊपर नजर रखूंगा आप क्या बाते कर रहे हैं और आप क्या काम कर रहे हैं। यह जो पेगैसिस सॉफ्टवेयर है यह इस लिए ज्यादा खतरनाक हो जाता है क्युकी यह जिस भी फोन मे इंस्टाल होता है वहाँ से यह सारी डिटेल को क्लियर कर देता है ,अगर मैंने आप के मोबाइल पर मिस काल कर के सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया है तो वो मिस काल की जो काल डिटेल है उसे भी डिलीट कर देता है और जो भी बदलाव सिस्टम में किए है उसे पकड़ा जा सकता है उनको भी यह डिलीट कर देता है इसी लिए इस स्पाइवेयर को पकड़ पाना नामुमकिन हो जाता है बड़े बड़े एक्सपर्ट भी नहीं मालूम कर पाते हैं कि किस मोबाइल मे यह सॉफ्टवेयर इंस्टाल है किस फोन मे नही है तो यह जानकारी थी इस पेगेसस स्पाइवेयर सॉफ्टवेर के बारे में । अब बात करते हैं लिबरल की कि यह लोग इतना क्यु चिल्ला चिल्ला कर बवाल काट रहे है द प्रिंट द क्विनट एनडीटीवी ये लोग इतने आर्टिकल क्यु लिख रहे हैं और लोगों को भ्रमित करने की कोशिस क्यु कर रहे हैं अब सबके धागे खोलता हू अच्छे से यह सभी लिबरल लोगों का कहना है मोदी सरकार के कारण लोकतंत्र खतरे में है यहा जर्नलिस्ट को फ्रीडम नहीं मिल रहा है यहा पर जो मोदी है वो अपने पत्रकारों के ऊपर जासूसी करा रहा है।इसका सच्चाई क्या है यह भी समझ लीजिए एन एस ए ने खुद कहा है कि उनके मैक्सिकम क्लाइंट जो है वो इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं वो लोकतान्त्रिक देश है अमेरीका लंडन पाकिस्तान तो ये सभी देश इनके क्लाइंट है और यह लोग चिल्ला रहे हैं इंडिया में लोकतंत्र खतरे में है।

      जबकि अगर भारत सरकार की बात की जाए तो भारत सरकार ने साफ शब्दों में माना कर दिया है कि हम लोग कभी भी पेगेसस सॉफ्टवेर का प्रयोग नहीं करते हैं द वायर ने ऐमनेस्टी के साथ मिलकर स्पाईवर के ऊपर पूरा रिपोर्ट तैयार किया है एमनेस्टी एमनेस्टी और द वायर का कहना है रिपोर्ट में की भारत में लोकतांत्र खतरे में है पत्तल कार पत्रकारों को फ्रीडम नहीं मिल रहा है मोदी लोकतंत्र को खतम कर रहा है इसकी भी सच्चाई आप जान लीजिए ये जो एमनेस्टी है यह खुद बैन भारत में बैन है क्यु है क्युकी यह लोग भारत में हमेसा गलत गतिविधि मे शामिल रहते थे आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल रहते होंगे हो सकता है क्युकी इन्होंने एफ सी आर आर रूल का दुरुपयोग किया था एफ सी आर आर का मतलब होता है कि इनको जो भी पैसे आते थे उसका व्योरा इन्होंने भारत सरकार को दिया ही नहीं था इनको कहा से पैसा आ रहे हैं किस लिए आ रहे है किसी भी चीज़ का ब्यौरा नहीं दिया यह लोग बहुत पहले से ही भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं इसी वज़ह से एमनेस्टी को भारत में बैन कर दिया गया था और यह लोग ऐसे लोग के साथ मिल कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जो भारत में खुद बैन है। जिस देश की लिस्ट यह लिबरल लोग ने एन एस ओ को दिया है उस लिस्ट में आधे से ज्यादा ऐसे भी देश है जिन्होंने कभी इस सॉफ्टवेयर का ईस्तेमाल ही नहीं किया है और यह लोग बस अंतराष्ट्रीय दुष्प्रचार फैलाने मे लगे हुए हैं ऐसा एन एस ओ का कहना है अब कुछ चीजे मैं आप को याद दिलाता हू कुछ दिन पहले यह लिबरल रो रहे कांग्रेस जो कि लोकतंत्र खतरे में है कह कर रो रही है। खुद कांग्रेस ने 2013 मे 9000 मोबाइल और 500 के करीब ईमेल का जासूसी किया था आप ने देखा होगा अक्सर जो चोर होता है खुद दूसरों को चोर कहते हुए देखा जाता है सिर्फ खुद को बचाने के लिए कुछ दिनों पहले पी के यानी प्रशांत किशोर कहते हैं कि उनका मोबाइल पांच बार हैक हो चुका है मैंने बार बार मोबाइल बदला मगर बार बार मेरा फोन हैक हो जाता है इतने बड़े बड़े एक्सपर्ट को नहीं पता चल पा रहा है किसका फोन हैक हुआ है किसका नहीं कुछ दिन बाद टू बी एच के वाली भी कहती हैं कि उसका फोन हैक हुआ है । ए एन आई ए ने एन एस ओ के ऑफिशियल से बात कि ए एन आई ए ने पूछा जो पत्रकार है उनका फोन हैक हुआ है और उन्होंने अपना फोन चेक भी करवाया है और चेक करने के बाद पता चला उनका फोन स्पाईवर सॉफ्टवेयर से उनका फोन बीमार भी हुआ था एन एस ओ ने जवाब दिया यह बिल्कुल झूठ है इस बात का प्रूफ कहा है वो तो सिर्फ कह रहे हैं कि मेरा फोन हैक हुआ था उस बात का प्रूफ कहा है कहा चेकअप करवाया प्रूफ होना चाहिए ना वो जो रिपोर्ट आता है उसे दिखाना चाहिए ना कुछ तो दिखा नहीं रहे हैं वो लोग तो ऐसे ही कैसे बोल दे रहे हैं वो लोग पहले यह लोग ने कहा पचास हजार फोन इस सॉफ्टवेयर से इफेक्ट हुआ था फिर यह लिबरल लोग 108 पर आ गए फिर यह लोग 37 पर आ गए अब यह लोग 12 फोन के बारे में कह रहे हैं। मतलब कल को यह लोग यह भी कह सकते हैं कि यह रिपोर्ट गलत था हम लोग गलती से बोल दिए थे फिर ट्राई ने पूछा अगर कुछ लोग के फोन इफेक्ट हुए भी होंगे तो उसके लिए आप इसके जिम्मेदार होंगे जिस पर एन एस ओ ने कहा हम लोग सारे नियम कानून को फोलो करके इस सॉफ्टवेर को बेचते हैं और जो हमारे क्लाइंट है इस सॉफ्टवेयर को खरीदते हैं वो किसको अटैक कर रहे हैं किसको टार्गेट कर रहे हैं इसका अंदाजा किसी को नहीं है सिर्फ व सिर्फ वही जानते हैं ।

            ये जरूरी नहीं है कि भारतीय पत्रकारों के मोबाइल मे स्पाईवर मिलता है तो उसको भारत सरकार ने इंस्टॉल करवाया हो अलग जो देश है वो भी इस चीज़ को करवा सकती हैं यह नॉर्मल है यह लिबरल की पूरी पोल खुल गई आप को बता देते हैं कैसे यह सब चीजों से आपा को बचना है क्युकी अभी एक बहुत बड़ा फ्रॉड हो सकता है आप के भी मोबाइल पर संदेश आ सकता है कि आप का मोबाइल स्पाईवर से इंफेक्ट है उसे क्लीन करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करे इस तरह के संदेश आ सकते हैं डबलू आई पर भी आप को इस तरह के संदेश आ सकते हैं अगर आप ने उस लिंक पर क्लिक कर दिया तो आप का जो अकाउंट है एक बार मे खाली हो सकता है और आप के डेटा भी जा सकते हैं और हाँ इस तरह के आक्रमण हमेशा होते रहते हैं । मैं स्वतंत्र हूं क्योंकि मैं भास्कर हूं ये टैगलाइन देने वाले, भास्कर में चलेगी पाठकों की। इन दो पंक्तियों में से दूसरे वाली पंक्ति सुनने और पढ़ने में बड़ा सुकून देती है। पर पेगेसिस की जासूसी और आयकर के छापो ने  लेकिन सच्चाई सबको पता है। पाठकों और आम आदमी की इस देश में चलनी किसी जमाने से बंद हो चुकी है। चलती तो नेताओं, कुबेरपतियों, मीडिया संस्थानों और तथाकथित बुद्धिजीवियों की है। वो जमाना भी क​ब का बीत गया जब अखबारें मिशन के तहत प्रकाशित होती थी। आज मीडिया संस्थान समाज सेवा नहीं बल्कि कमाई करने और अपने काले कारनामों को छुपाने का जरिया हैं। विचारधारा कोई भी हो सब अपने एजेण्डे के हिसाब से गाड़ी हांकते हैं। कोई सरकार के साथ रहकर कमाता है तो कोई सरकार के खिलाफ खड़ा होकर। पर सच्चाई यह है कि कमाई दोनों करते हैं। किसी जमाने में मीडिया जनोन्मुखी हुआ करती थी। लेकिन अब इस तल्ख हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता कि पिछले काफी सालों से मीडिया मंचोन्मुखी हो चुकी है। खबरों के नाम पर सूचनाओं से भरे रंगीन पेज या मिर्च-मसाला लगी खबरें परोसकर कोई मीडिया संस्थान आम आदमी या पाठक का भला कैसे कर सकता है? हां, वो अलग बात है कि जब कभी-कभार सरकार की नजर टेढ़ी हो जाती है, या सरकारी मशीनरी सख्ती करती है, तो मिशनरी पत्रकारिता के स्लोगन बड़ी चतुराई से गढ़े जाते हैं।और रही बात पाठक या जनता की तो, उसे तो पहले ही इस देश की राजनीति बलि का बकरा बना चुकी है। आपसे प्रार्थना है कि, अब आम आदमी या पाठक के कमजोर कंधों पर आप अपनी मिशन पत्रकारिता की भारी भरकम बंदूक रखकर उसकी बची-खुची जान मत निकालिए। उसे उसके ही हाल पर छोड़ दें तो ज्यादा बेहतर होगा ।

          — पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।

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