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सम्पादकीय : मनमोहन शर्मा ‘शरण’

आप सभी को 74वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
हम प्रत्येक वर्ष यह दिवस बड़ी धूमधाम से मनाते आ रहे हैं। इस बार कोरोना काल में बंदिशों तथा सरकार की गाइडलाइन्स का पालन करते हुए मनाया गया। दिवस आता है और बीत जाता है। आज हमें 74ं वर्ष हो गये। प्रधानमंत्री जी ने भी इस बात का विशेष उल्लेख किया था कि अगले वर्ष हम 75वां स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाएंगे।
आज के दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, नमन करते हैं जिनकी सेवओं और बलिदान के परिणामस्वरूप आज हम आजाद देश के नागरिक हैं। यह अच्छी बात है किन्तु उन्हें न सिर्फ हम याद करें अपितु उनके द्वारा स्थापित किये राष्ट्रीय मूल्यों को अपनाने का प्रयास करें तभी उनके प्रति सच्ची श्र(ांजलि अर्पित होगी।
इसी देश ने वह दौर भी देखा है जब नेताओं में देश के प्रति, देशवासियों के प्रति सेवा-समर्पण और त्याग की भावना रहती थी। आज हम बात विकास की करके सत्ता पर काबिज हो जाते हैं और विकास वास्तव में किसका होता है यह आप सभी जानते हैं। जो मिला-उसमें संतोष करने के स्थान पर जो दूसरे की झोली में है उसे भी हथियाने की लालसा पनपने लगी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और अन्य प्रदेशों में ऐसे अनेक उदाहरण देशवासियों ने देखे हैं। हाल ही के ताजा रास्थान मामले पर दृष्टि डालें तो भीतर का रण भीतर से ही सुलझ गया या सुलझा लिया गया। यहाँ मुझे ऐसा प्रतीत होता है जिसे पहले भी अनेक बार मैंने कहा है कि हम देश मजबूत बनाना चाहते हैं, यहां की व्यवस्था और अर्थव्यवस्था मजबूत करना चाहते हैं तो सत्तासीन नेताओं में राष्ट्रीय संस्कार-मूल्य पोषित करना अति आवश्यक है जिसके लिए उनको व्यक्तित्व विकास तथा योगा-मेडीटेशन आदि का शिक्षण आवश्यक कर दें ताकि वे अपने हित के साथ-साथ देश का हित भी बराबर सोचें।
आज प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों को अपने संबोधन से आश्वस्त किया है कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश की तीन कम्पनियों द्वारा वक्सीन के ट्रायल का सफलतापूर्वक प्रथम चरण पार कर लिया है। यह उत्साहव(र्क है किन्तु आज तक की स्थिति देखें तो हमारे देश में 27 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। मार्च से अगस्त आ गया µ कितनी भगदड़ हुई और कितना हाहाकार मचा यह सबने देखा-जाना। 6 महीने हो गए हैं, अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने हतु अनलॉक की प्रक्रिया चरणब( तरीके से प्रारंभ की गयी। अनलॉक तो होने लगा किन्तु स्थिति सामान्य होते-होते पूरा 2020 समाप्त हो सकता है, इसमें कोई आवश्यक नहीं होगा। डरे सहमे निकलते हैं µ अपने-अपनों से भी मिल नहीं सकते। ऐसे में जब जान पर बन गई हो तो पहले लोग अपने स्वास्थ्य को फिर कारोबार-नौकरी पेशा देखते हैं। करोड़ो लोग बेरोजगार हो गए। स्थिति को सामान्य होने में यदि बहुत देर हुई तो बेरोजगारी इससे भी घातक परिणाम सामने ला खड़े कर सकती है।
एक तरफ कोरोना महामारी दूसरी तरफ इसका जन्मदाता ‘चाइना’ जो बातचीत का राग अलापते हुए अपने रक्षा उपकरण, तोप, मिसाइल और बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती सीमा रेखा पर कर रहा है। वह भले ही सबका ध्यान हटाने के लिए यह सब कर रहा हो किन्तु उसे इस दुष्कर्म की सजा तो अवश्य मिलेगी ही। भारत ने आर्थिक मोर्चे पर उसकी कमर पर इतने प्रहार किए हैं कि न तो उससे संभलते बन रहा है और न ही सहन करते बन रहा है। टिकटॉक को भी भारत की प्रतिष्ठित कम्पनी ने खरीदने का ऑफर दे दिया है। उधर अमेरिका आए दिन नौक-भौं सिकोड़ रहा है चाइना का नाम सुनते ही। उसने भी मिसाइल तथा अन्य सैन्य सामान तैनात कर दिए है, चाइना इधर से बचा तो उधर से गया। चाइना को आइना तो देखना ही पड़ेगा और उसमें बिगड़ी सूरत भी।

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