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भ्रष्टाचार का बोलबाला फिर भी सच्चाई का मुंह काला !

कई राजनीतिक आत्माओं के साथ सोशल मीडिया पर हूं कुछ तो सलाह भी लेते है पर अवसर पर पहचानने तक से मुकर जाते है और कुछ लोगो के संपर्क में भी रहता हूं जिन्हे कलम के माध्यम से आप सबके बीच लाने की जिज्ञासा भी है । धन धर्म और सुकर्म से समाज सेवा करने वाले ही, सच्चे धनवान होते है । राजनीति का ऊंट कभी भी किसी करवट बैठ सकता है । स्वामी प्रसाद मौर्य जिन्हे सोशल मीडिया ने नेवला प्रसाद मौर्य कहकर ट्रोल करना शुरू कर दिया गया है उन्होंने राजनीति से शतप्रतिशत खुद को धुंधला साबित कर लिया । निस्पृह थे मौर्य पर अपने पुत्रमोह में जो हाल धृतराष्ट्र का हुआ वही हाल स्वामी प्रसाद मौर्य का होना तय है क्योंकि उत्कृष्ट मौर्य को ऊंचाहार से टिकट की उम्मीद लेकर सपा में गए मौर्य को निराशा हाथ लगी । कुछ लोग राजनीति की कभी चर्चा ही नहीं करते बस समाज सेवा में समर्पित है जबकि कुछ प्रत्याशी जैसे जौनपुर जनपद के जाफराबाद विधानसभा सीट से श्री सुनील सिंह , बदलापुर सीट से रमेश मिश्र , सदर जौनपुर विधानसभा से गिरीश यादव, केराकत विधानसभा से सपा के गुलाब सरोज, पिंडरा सीट से कांग्रेस के अजय राय , वाराणसी शहर से दयाशंकर मिश्र दयालु और श्रीमती मीना चौबे जैसे प्रत्याशी अपने क्षेत्र में खासे लोकप्रिय है । इनके कार्यों से ही ये अपने विरोधियों को मैदान में पटखनी देने में सक्षम है । साठ के दशक मे राजनीति में ईमानदारी थी।रविवारी स्कूल चलाते ,रात्रि काल मे बीजली ,पानी ,पंखों का प्रबंध करते।भोजन जल का प्रबंध तहसीलों से आनेवाले ,गाँव वाले छात्रों के लिये भी सदैव ही करते थे,बोर्ड की परीक्षाओं में विशेष सहयोग करते थे।पुस्तकें सभी विषयो की रखते,समय समय पर माँगने पर ही ,देते भी थे।नये नये स्याही सहित पेन दवात बाँटते,क्या क्या न करते,डाक्टरो को भी प्रेम में बाँधे रखते। हाई वोल्टेज ड्रामा,चौधरी साहब, अबकी राफड़ गाँव के लोग आपको वोट नहीं देगें। कहते हैं कोई काम हुआ नहीं तो वोट नहीं। पूरा गाँव नाराज है। आप वहाँ जाकर करोगे क्या, नाराजगी दूर कैसे कर पाओगे ?” उन्हें मनाने का विचार कर लिया है।”कैसे साहब?”जलसे की जगह से थोड़ी दूर जोहड़(तालाब) है। गाड़ी को वहीं लेजाकर रोकना। बाकी ड्रामे की स्क्रिप्ट मैनें समझ ली है। तुम चलने की तैयारी करो।” “ठीक है, जैसा आप कहें।” जलसा स्थल पर लोग जुट गये थे। चर्चा जोरों पर थी कि वोट नहीं देंगे। गाँव में आना अलग बात है, सम्मान करेंगे लेकिन वोट नहीं देंगे। किसी भी सूरत में चौधरी साहब को इस गाँव से एक वोट भी नहीं मिलेगी। क्या कहते हैं–सुन लेंगे लेकिन वोट नहीं देंगें। यह सामूहिक निर्णय था। चौधरी साहब की गाड़ियों का काफिला आया। जिसमें नेताजी विराजमान थे, वह गाड़ी जलसा स्थल पर नहीं रुकी। लोग हैरान हुए। गाड़ी आगे चली तो भीड़ भी पीछे-पीछे चल पड़ी। जोहड़ (तालाब) के पास गाड़ी रुकी और नेताजी गले तक पानी में उतर गए। तालाब में घुसकर लोगों से कहने लगे–“मुझे वोट नहीं दोगे तो तुम्हारे गाँव के इस तालाब में डूबकर मरुँगा।” थोड़ा और गहरे चले तो लोग चींखे–“अरे चौधरी साहब आ जाओ, हमसे गलती हुई।”नहीं, तालाब का पानी अँजुरी में लेकर नेम उठाओ।” “हाँ,हाँ नेम है, वोट तुम्हें ही देगें।” और उस चुनाव में नेताजी भारी बहुमत से विजयी घोषित हुए। हाई वोल्टेज ड्रामा काम कर गया था। कोई बीमार न पड़े ध्यान रखते।दूध दही की आदत वालों को दूध दही और घी का विशेष रिवाज था,ध्यान रखते ,गुड़,बूरा आम था।परीक्षा फल पर मिठाई भी बाँटते थे।कभी कमी नहीं देखी। धन्यजीवन था उनका ,सहयोगी भी उनके ही मित्र रहते थे ,अनोखी सेवा देखी । अबकी राजनीति अवसरवादी राजनीति हो गई है जिस क्रम में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। दोपहर 3 बजे उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है। उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्टार प्रचारक की सूची में से एक के रूप में पाया! ट्विटर पर लेते हुए, आरपीएन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना त्याग पत्र साझा किया। आज, एक समय में, हम अपने महान गणराज्य के गठन का जश्न मना रहे हैं, मैं अपनी राजनीतिक यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता हूं। जय हिंद,” उन्होंने एक ट्वीट में कहा। सूत्रों के मुताबिक कुशीनगर के पडरौना विधानसभा सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बीजेपी आरपीएन सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी में है। प्रदेश भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे मौर्य ने हाल ही में पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन की। आरपीएन सिंह जाति से कुर्मी है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि पिछड़े वर्ग से होने के कारण अपनी जाति का समर्थन कर सपा प्रत्याशी मौर्य को हरा सकते हैं ।आरपीएन सिंह के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा, “आरपीएन सिंह को जितिन प्रसाद और सिंधिया की सूची में शामिल होना निराशाजनक है। ये सभी व्यक्ति गोरे मौसम के दोस्त हैं! उत्तर प्रदेश में इलेक्शन है और आज के परिदृश्य में किसी भी पार्टी को वोट देने की क्षेत्रीय आधार पर मेरी मन:स्थिति कुछ इस प्रकार है – भारतीय जनता पार्टी :- मैं मध्यम वर्गीय हिन्दू, भ्रष्टाचार चरम पर, अहंकारी, विकास क्षेत्रवाद में , क्षेत्रीय विधायक अच्छा मित्रवत 32-40% समाजवादी पार्टी :- विकासशील, भ्रष्ट, क्षेत्रीय विधायक औसत, गुण्डाराज, माफियागिरी, छिनैती लूट ज्यादा,मुख्यमंत्री तक सम्पर्क 34-38% बहुजन समाज पार्टी :- विकासशील, भ्रष्टाचार औसत से अधिक, विधायक चोर, मुख्यमंत्री 34-36% कांग्रेस :- उत्तर प्रदेश में पिछले काफ़ी समय से नहीं, प्रियंका गांधी मेहनत करती हुई दिख रहीं हैं यदि मुख्यमंत्री की घोषणा करें 25-33% आम आदमी पार्टी/ अन्य :- नकारात्मक 0-5% विधायक कैन्डीडेट के आधार पर नोटा :- 50% अन्तिम समय तक मुद्दों / कैन्डीडेट व मुख्यमंत्री के आधार पर मेरा मत प्रतिशत उपरोक्त में 35-45% तक जुड़ कर किसी को भी वोट दे सकता है। आपकी राय / आंकलन क्या है ?
_ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।

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