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स्वतंत्र् है अपनी धरा, मन में बहती गंग है

सम्पादकीय, मनमोहन शर्मा ‘शरण’

सर्वप्रथम आप सभी को स्वतंत्र्ता दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएँ ।
इस बार विशेष इसलिए भी है कि 15 अगस्त 2021 को हम 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं जो अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है ।
आज हम एक पड़ाव पर पहुँचे हैं जहां हमें 7 दशक से अधिक का समय आजादी प्राप्त किए हो गया है ।
ऊँची उड़े पतंग है, स्वतंत्र् है अपनी धरा, मन में बहती गंग है
मन में माँ गंगा की पवित्र् लहरों सी उठती तरंगे यह आभास कराती हैं कि आज हम स्वतंत्र धरा में श्वाँस ले रहे हैं, जीवन यापन कर रहे हैं ।
यह अवसर उपलब्धियों पर नाज करने का तो है ही, साथ ही आत्म चिंतन, मंथन और आंकलन करने का भी है कि — कहाँ और किसलिए छोड़ा था हमें गाँधी, सुभाष, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सहित असंख्य सैनानियों ने और हम कहाँ जा रहे हैं —
कैसे हम आजाद हैं, जात–पात पर भेद है, गाते अपना राग हैं
जी हाँ हम आजाद हैं, जाकर पूछो कृषक से, चढ़ते सूली आज हैं
एक वर्ष से अधिक समय हो गया किसानों को कृषि कानूनों के विरूद्ध आन्दोलन करते हुए और आज भी कोई हल सामने नहीं आ रहा । इसी सम्बन्ध में कुछ राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के संग किसानों का प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी से भेंट कर उनको जानकारी दी कि इस आंदोलन के दौरान 500 किसान अपनी जान गंवा बैठे हैं और उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले को सुलझाने हेतु एक समिति का गठन किया जाए ।
राष्ट्रीय पर्व के साथ अगस्त माह में अनेक अन्य त्यौहार भी आ रहे हैं — श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रक्षाबं/ान, सावन शिवरात्रि, नाग पंचमी आदि–––– मेरा अनुरोध है कि त्यौहारों को मनाएं किन्तु कोरोना गाइडलाइन्स का पालन अवश्य करें । ध्यान रहे आज फिर हमें एक दिन में 40 हजार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या मिल रही है । आप सभी यह जानते हैं कि छोटी सी असावधानी बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है या बन जाती है । इसका ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए ।

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