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स्वतंत्रता दिवस अमर रहे।

15अगस्त 2021                               

क्या हम अपनी स्वतंत्रता खो रहे हैं?

मार्टिन _उमेद, देहरादून

15अगस्त 1947  को भारत देश ने आज़ादी मे कदम रखा. आज 15 अगस्त 2021 को भारत अपनी आजादी के 74 साल पूरे कर रहा है। देश में स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए चारो ओर की फिज़ाओ मे तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

लाल किले पर ध्वजा रोहण  होगा . हालांकि इस साल कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते सामूहिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे। यह सब जानते हैं कि आज से 74 साल पहले हमें जो आजादी मिली जिसके लिए इस मातृभूमि के लाखों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। लेकिन इस मौके पर हम उन अमर बलिदानियों को याद कर, उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

15अगस्त की जिस आजादी के लिए हमारे देश के लाखों वीर-सपूतों ने कुर्बानियां दीं, जिस आजादी की कल्पना करके उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, क्या हम उस आजादी का मतलब समझते हैं? आजाद भारत के नागरिक तो हैं, लेकिन एक आदर्श नागरिक का जो कर्तव्य और आचरण होना चाहिए, क्या वह हमारे अंदर है? एक आजाद देश में हमें जो अधिकार मिले हैं, हम उसका सदुपयोग कर रहे हैं? अगर कर रहे होते, तो क्या आज आजादी के 74  सालों बाद हमारे देश की यह हालत होती? आखिर हमें आजादी क्या इसीलिए मिली है कि मौका मिलते ही हम नियम-कानून को अपने हाथ में लेकर अपनी मनमर्जी करें? धज्जिया उड़ा दे, अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर दूसरों के अधिकारों का हनन करें? मौका मिलते ही जाति और धर्म ऊंच-नीच के नाम पर एक-दूसरे के खून के प्यासे होकर दंगे करें? क्या हमारे लिए यही है आजादी का मतलब? क्या आजादी का मतलब राह चलती महिलाओं-लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करना व उनका बलात्कार करना हत्या जैसे जघन्य अपराध तक अंजाम देना *

अपने पड़ोसियों को परेशान करना, करप्शन को बढ़ावा देना है? कहाँ से आया ये करप्सन? इसको उपजाने वाले हम ही है,  अगर हमारे लिए आजादी के यही मायने हैं, तो माफ़ कीजिये, इससे अच्छा तो हम आजाद ही न हुए होते। आज 15अगस्त पर हम  आजादी की 74वीं सालगिरह मना रहे है और विज्ञानं और मनुष्य ने इतनी तरक्की कर ली है मनुष्य मंगल पर जा बसने को आतुर है ! तो कहीं नये नये करिश्मे हो रहे है !आइए हम जरा अपनी गिरेबां में झांकें और तय करें कि हमारे लिए आजादी का मायने क्या है? हम भेड़ बकरियों के समान जी रहे है ये आज़ादी है ! इस जीने को आप आज़ादी कह सकते है परन्तु मैं इसको कदापि”आज़ादी” नहीं कह सकता ! चाहे आप मुझसे सहमत हो न हो?

अगर आम जनता को परेशानी होती है, तो होती रहे। हमें इससे क्या मतलब। हम अपने निजी और धार्मिक प्रोग्राम को जब चाहें  सार्वजनिक स्थलों पर करेंगे। रातभर तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाकर लोगों की नींद हराम करेंगे।  चाहे किसी की परीक्षा हो, या बीमार हो, कोई बुजुर्ग परेशान हो आपका इस ख्याल से भी कोई लेना देना नहीं है, पब्लिक की सुविधा के लिए बनाई गई चीजों का हम तो दुरुपयोग करेंगे। क्योंकि, हम आजाद हैं। जी हाँ , हम में से ज्यादातर लोग आजादी का मतलब यही समझते हैं?  लोग इस तरह भी आजादी का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन, जरा सोचें कि क्या यही हैं हमारे लिए आजादी के मतलब ?

यातायात  के नियमों का उलंघन करना।

हम आजाद देश में रहते हैं, इसलिए जो हमारे धर्म और जाति का नहीं है, उसके साथ हम अन्याय करेंगे। उसके अधिकारों का हनन करेंगे। मौका मिलते ही हम दंगा-फसाद करेंगे। कुछ लोगों के लिए आजादी का यही मतलब है। अगर ऐसा नहीं होता, तो आज देश में जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव के साथ ही दंगे-फसाद नहीं होते। देश में लोग अमन-चैन से रहते, लेकिन कुछ लोगों के लिए आजादी का मतलब यही है।क्या ट्रैफिक रूल्स तोड़ना आजादी है! फिर चाहे उसके लिए कोई भी ताकत लगानी पड़े !

मैं देखता हूँ कि लोग मोटर कार ता मोटर साईकिल के पकडे जाने पर बड़ी से बड़ी सिफारिश लगा देते है नियम को तोड़ने के लिए, सरकारी नौकरी के लिए घूस रिश्वत आ खेल धड़ल्ले से खेला जा रहा हैं. गरीब और गरीब होता जा रहा हैं. और अमीर हमेशा की तरह और अमीर

ये क्या आजादी है !

आजादी का मतलब यह नहीं है कि हमारे लिए संविधान में जो अधिकार मिले हैं, उसका हम दुरुपयोग करें। हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने हम अच्छे नागरिक के तौर पर या सभ्य नागरिक के रूप में रहें, इसलिए कानून बनाया है। लेकिन, आज कानून को अपने हाथ में लेकर अपनी मनमर्जी करना लोगों की फितर बन गई है। काननू को तोड़ना लोग अपनी शान समझते हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो क्या देश के थानों में छोटी-छोटी बातों को लेकर इतने अधिक मामले दर्ज होते? एक छोटा सा उदाहरण है। हम रोड पर चलते वक्त सुरक्षित रहें और राह चलते दूसरे लोगों को भी सुरक्षित रखें, इसके नियम बनाया गया है कि हम रोड पर जब भी बाइक या स्कूटी चलाएं हेलमेट पहनें, दू पहिया वाहन  पर कभी भी तीन न बैठे,  यातायात के  सिग्नल का  पालन  करें। लेकिन, इन निमयों की परवाह नहीं की जाती है। ट्रैफिक थाना के आंकड़े यह गवाही दे रहे हैं कि डेली दर्जनों लोगों पर ट्रैफिक नियम तोड़ने के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है, लेकिन फिर भी लोग नहीं सुधर रहे हैं। ऐसे में क्या यह आजादी का दुरुपयोग नहीं है?क्या ट्रैफिक नियम कानून  तोड़ना आजादी है?  हम खुद को क्या कहलाना पसंद करते है, आज जानवरो से परे इंसान होता जा रहा है ! दूसरे मुल्को की बात करें तो कितनी तरक्की दूसरे मुल्को ने की है क्युकी वो अपने देश के नियम कानून को मान कर चलते है !

उनको गैर मुल्को से कोई लेना देना नहीं है ! वो हमारे देश मे आकर लोगों को देखते है तो क्या सोचते होंगे कभी ये सोचा है आपने ?

क्या आज़ादी का मतलब गंदगी फैलाना है।

जहाँ देखो मुहल्लों, कॉलोनीयों,बस्तियों से लेकर रोड और गलियों तक में फैली गंदगी के लिए हमलोग रोना रोते हैं। इसके लिए देश के नगर निगम और दूसरी संस्थाओं को इलज़ाम करते हैं, क्या ये काम संस्थाओ का या नगर पालिकाओं का है आपका कोई फर्ज़ नहीं है आप जरा भी नहीं सोचते कि अगर हम अपना कोई योगदान दे देंगे तो कुछ अच्छा हो जायेगा ! लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैलाने की आजादी हमें किसने दी है?  हम कूड़ा-कचरा को उसकी निर्धारित जगहों पर क्यों नहीं फेंकते हैं? मौका मिलते ही लोग जहां-तहां कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं। जबकि, हमें यह पता होता है कि ऐसा करना गलत है। और इन्ही कारणों से बीमारिया फैलती है आज गर्मी सर्दी बरसात सभी मौसमों मे बीमारिया आ ही जाती है जानते है क्यों?  क्यों की आप लोग सफाई ना पसंद करते है फिर भी हम अपनी आदतों से बाज नहीं आते, कई लोग गली मुहल्लों, नुक्कड़ों, सड़को पर जहाँ चाहे दीवारों पर लग जाते है ऐसा नहीं सोचते है कि ये शर्म कि बात है ! दीवारों पर पान, तम्बाकू, गुटखा खा कर इधर उधर थूकते है !सरकार को चाहिए है कि ऐसे लोगों को जो दिवार गंदी करते है उनको दंड दिया जाना चाहिए। और ये न्ययोचित भी हैं जो गंदगी करें वहीँ साफ करें। हम देश के किसी भी तीर्थ स्थान को देखे या पर्याटक नगरी को देखे जहाँ लोग जाते हैं अपने पीछे कूड़ा करकट छोड़ आते हैं कौन हैं इसका जिम्मेदार? क्या वाकई यही है हमारी संस्कृति ,आज आज़ादी मात्र है  आप अपनी आने वाली पीड़ी को क्या देना चाहते है?  अनुसाशन हीनता जो की आपके घरों से होकर राजनीति  गलियारों तक आ जाती है !

सार्वजनिक स्थानों पर निजी शोरगुल क्यों ?

आजकल किसी के भी घर का कोई शादी समारोह हो तो सड़को व पार्को को बंद करके वहीँ पर समारोह किया जाता है ! समारोह ख़तम होते ही सब चले जाते है ! बचता है जो कूड़ा करकट  सब वहीँ पड़ा रह जाता है ! उसके द्वारा होने वाले दुष्प्रभावों के बारे मे कोई नहीं सोचता क्या यही है हमारी आज़ादी? जब हमारी मर्ज़ी होंगी , तब शहर में बंद का एलान कर देंगे। आम पब्लिक की जिंदगी को बंधक बना देंगे। अपनी मांगें मनवाने के लिए पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाएंगे। क्योंकि, हम आजाद देश में रहते हैं। कुछ लोगों के लिए आजादी के यह भी मायने हैं। वे अपनी बात मनवाने के लिए किसी के भी हद्द पर जाकर अधिकारों पर अतिक्रमण कर देते हैं।जब लोग घूमने पार्को मे जाते हैं वहाँ लगे पेड़ पौधों को तोड़ने का प्रयास करते हैं. पेड़ो पर एक दूसरे के नाम खरोचने लगते हैं जिस कारण से वो पेड़ सूख जाता हैं. ऐसे मे धरती का विनाश होना तय हैं। क्या यहीं हैं हमारी आज़ादी का सही मतलब जो लोग पार्को मे जाकर गन्दगी करते हैं उनके लिए उनकी आजादी मायने रखती है, बस ! दूसरों की नहीं। ऐसे लोग जरा सोचें कि क्या यह वही आजादी है, जिसके लिए देश के वीर सपूतों ने अपना लहू बहाया है?देश की सरहदों पर भूखे प्यासे रहकर वीरान जंगलों मे पड़े रहे, कई शहीद हुये तो कइयों के जंग मे हाथ पैर कटे ! क्या यहीं है उनके बलिदान त्याग की आज़ादी की नयी पीड़ी, और कई भारत माता के वीर सपूत ऐसे भी रहे हैं जिनको इतिहास कभी याद ही नहीं कर पाया. क्या यहीं सपने देखे थे चंद्र शेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह.राजगुरु. सुखदेव जी व नेता जी सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने आज़ाद हिन्द फौज बनाकर देश को एक नारा दिया ‘तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा.राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी ने मेरा उनको सत सत नमन जिन्होंने वतन की ख़ातिर अपना सब कुछ न्योछावार कर दिया.ऐसे अनेको वीर हैं जिनका नाम इतिहास मे दर्ज़ हैं.

पद,नाम, ओधे के दुरूपयोग की आज़ादी………।

हम आजाद देश में रहते हैं, इसलिए अगर हमें पावर और पोस्ट मिला है, तो हम उसका दुरुपयोग करेंगे। हम अपने अधिकारों को भरसक  इस्तेमाल करते है !कुछ लोगों के लिए आजादी का यही मतलब हो गया है। खासकर सरकारी पदों पर बैठे ज्यादातर अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए, जो अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए करप्शन फैला रहे हैं। ऐसे लोगों के कारण देश की आजादी खतरे में है।

बड़े बड़े सरकारी दफ्तरों मे कोई काम कराने जाओ तो कल आना परसो आना बोला जाता है ! या शर्मा जी के पास जाओ, चौधरी साहब आज नहीं है दफ्तर मे कल आना कोई भी काम समय पर नहीं होता बस सिर्फ आपको कलम ही चलानी थी या आजकल तो कम्प्यूटर का ज़माना है बस जरा से ऊँगली हिलाने कि देरी है पर आज़ादी है काम ना करने कि सरकारी महकमें ऐसे लोगों से भरे है जो मुफ्त कि रोटी खाते है

पर काम नहीं करना है दफ्तर मे वजह आज़ादी जो है !

क्या ये आजादी चाहते है हम दुनियाँ के देश आज कहाँ से कहाँ पहुँच गए है उन्होंने अपने मुल्क को तरक्की के राह पर अग्रसर किया है !

हम पाश्चात्य सीख रहे है मॉडर्न हो रहे है तो हम आज़ादी का मतलब गलत क्यूँ सीख रहे है ! ऐसा ही रहा तो एक दिन हम फिर से अपनी आजादी को खो देंगे ! क्या सोचते हैं आप आपने कभी सोचा हैं की आज बॉर्डर पर किसी न किसी माँ का लाल शहीद हो रहा हैं क्यूँ क्यूँ हैं कोई जवाब , वो इस लिए की उसको वतन से प्यार हैं इस माटी से लगाव हैं तभी हम घरों मे सुरक्षित हैं जब बॉर्डर पर जवान तैनात हैं. हम दूसरे मुल्को से जंग जीत लेते हैं किसी भी स्तिथि से निबट कर उभर जाते हैं. पर क्या हम अपने आप को सुधार सकते हैं ताकि वतन के लिए हम भी कुछ कर दिखाएँ। अपने देश को स्वच्छ और साफ बनाये……..

मुकम्मल हैं इबादत मेरी मैं अपने वतन पर ईमान रखता हूँ,

वतन के आन की ख़ातिर वतन पर अपनी जान छिड़कता हूँ

क्यूँ पड़ते नहीं हो आँखों मे शोले हैं मेरे वतन कि ख़ातिर

सच्चा हिंदुस्तानी हूँ वतन की मिट्टी को अपनी माँ समझता हूँ।

                              जय भारत, वन्दे मातरम,जय हिन्द

आप सभी देश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें…..

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