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अनूठा प्रेम

शानदार पार्टी चल रही है।पार्टी में कोने में खड़े एक शर्मीले लड़के अंकित की नज़र एक लड़की दीपाली पर है। उस लड़की पर, जो उस पार्टी में मौजूद सारी लड़कियों में सबसे ज्यादा खूबसूरत है। उसे उससे प्यार हो गया है लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं कि वह उससे जाकर बात कर सके।

पार्टी में और भी कई लड़के हैं, जो दीपाली के पीछे दीवाने है। वह अपनी तुलना दूसरों से करने लगता है और उसे महसूस होता है कि वह दूसरों की तुलना में बहुत ही साधारण है। पार्टी में एक भी ऐसी लड़की नहीं, जो उससे दोस्ती तो छोड़ो बात भी करना चाहती है। ऐसे वो दीपाली उससे क्यों दोस्ती करेगी? यह सोचकर वह चाहते हुए भी पूरी पार्टी भर दीपाली से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।

पार्टी ख़त्म हो गई है और दीपाली वापस जा रही है। अंकित अब भी उसके बारे में ही सोच रहा है – “वो जा रही है…… मुझे हिम्मत कर उससे बात करनी होगी, नहीं तो शायद जो शुरू हो सकता था, वो यूँ ही ख़त्म हो जायेगा। ”

वह दौड़कर  दीपाली के पास जाता है और उसेअपने साथ कॉफ़ी पीने चलने के लिए कहता है।पहले तो दीपाली हैरत में पड़ जाती है लेकिन फिर मान जाती है।कुछ देर बाद दोनो एक कॉफ़ी शॉप में बैठे हुए है। अंकित ने दीपाली  को अपने साथ बुला तो लिया है, लेकिन वह इतना घबराया हुआ है कि घबराहट में कोई बात ही शुरू नहीं कर पा रहा है। दीपाली भी उसे शांत देख असहज है। वह भी खामोशी से कॉफ़ी का इंतजार कर रही है और मन ही मन सोच रही है, “ये मैं कहाँ फंस गई? काश, ये सब जल्दी ख़त्म हो जाए….. और मैं अपने घर जा पाऊं।”

थोड़ी देर में वेटर आता है और उन्हें कॉफ़ी सर्व करता है। कॉफ़ी सर्व कर जब वह वापस जा रहा होता है, तो अंकित अचानक ही उससे बोल पड़ता है, “प्लीज, मेरे लिए थोड़ा नमक ले आना. मुझे  कॉफी  मे डालना है। ”

उसकी ये बात सुनकर दीपाली चौंक जाती है और उससे पूछ बैठती है, “तुम कॉफ़ी में नमक डालकर पीओगे? क्यों भला?”

अंकित उसे जवाब देता है, “जब मैं छोटा था, तो समुद्र के किनारे रहा करता था। मुझे वहाँ खेलना बहुत पसंद था। आज भी मुझे समुद्र के पानी का नमकीन स्वाद याद है।  इसलिए जब भी मैं ये नमकीन कॉफ़ी पीता हूँ, तो मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूँ, अपने शहर के बारे में सोचता हूँ…अपने माता-पिता के बारे में सोचता हूँ, जो आज भी वहीं रहते हैं.” कहते-कहते अंकित की आँखों में आंसु आ जाते हैं।

अंकित का जवाब सुनकर दीपाली का दिल भर जाता है। अंकित को अपने परिवार के बारे में बात करता हुआ देख वह भी अपने घर, परिवार,बचपन के बारे में बातें करने लगती है। इस तरह दोनो के बीच पसरी खामोशी की दीवार टूट जाती है और बातों का सिलसिला चल पड़ता है. उस शाम दोनों के बीच एक खूबसूरत दोस्ती की शुरूआत हो जाती है।

दोनों का एक-दूसरे से मिलना जारी रहता है। धीरे-धीरे दीपाली को ये अहसास होने लगता है कि उसे जैसा जीवन साथी चाहिये, ,अंकित बिलकुल वैसा ही है……दयालु, सहनशील और सबका ध्यान रखने वाला है। अगर वह उस शाम नमक डालकर कॉफ़ी नहीं पीता, तो शायद वह उसके बारे में इतना कुछ जान ही नहीं पाती।

आगे वैसा ही होता है, जैसा एक खूबसूरत प्रेम-कहानी में होता है।दोनो की शादी हो जाती है और ख़ुशी -ख़ुशी  उनकी ज़िन्दगी गुजरने लगती है। दीपाली जब भी कॉफ़ी बनाती है, उसमें शक्कर की जगह नमक डालती है क्योंकि उसे पता है कि उसके पति को नमकीन कॉफ़ी पसंद है।

40 साल के लंबे सफ़र के बाद एक दिन उनका वह खूबसूरत साथ टूट जाता है। अंकित की एक लंबी बीमारी के बाद मौत हो जाती है। उस शाम दीपाली पुरानी चीज़ों को देख उसे याद कर रही है, कि तभी उसे उनमें अंकित का लिखा हुआ एक ख़त मिलता है. वह ख़त पढ़ती है :

माय डिअर दीपाली,

  प्लीज मुझे माफ कर देना…. उस झूठ के लिए, जो मैंने कभी तुमसे बोला था।  तुम्हें याद……..हमारी    पहली मुलाकात  …… उस शाम मैं इतना ज्यादा नर्वस था कि घबराहट में मैंने वेटर से शक्कर की जगह  नमक मांग लिया था। कैसे कहूँ कि उसके बाद मुझे कितनी शर्मिंदगी महसूस हुई थी. क्या करता? शर्मिंदगी से बचने के लिए मैंने एक झूठी कहानी गढ़ दी। लेकिन सच कहूं, उस समय मुझे ये पता नहीं था कि मेरा वही झूठ हमारे बीच पसरी खामोशी की दीवार को तोड़ देगा और हमें एक-दूसरे के इतना करीब ले आयेगा। उसके बाद मैंने कई बार कोशिश की तुम्हें सच बताने की  लेकिन हिम्मत ही नहीं हो पाई….डरता था कि कहीं तुम मुझे झूठा न समझने लगो और उसके बाद कहीं तुम मुझ पर भरोसा करना न छोड़ दो….

लेकिन अब जब मैं मर रहा हूँ, तो डरने की कोई वजह ही नहीं रह गई है। इसलिए तुम्हें सच बताना चाहता हूँ। और सच ये है कि मुझे नमकीन कॉफ़ी बिलकुल पसंद नहीं ।  बल्कि मुझे तो यह बेहद नापसंद है।  सच में, इसका स्वाद कितना अजीब और बेस्वाद होता है. लेकिन जब तुम इतने प्यार से इसे मेरे लिए बनाकर लाती हो, मैं इसे न चाहते हुए भी पी लेता हूँ। इसी तरह मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी ये बेस्वाद नमकीन कॉफ़ी पी है।

डार्लिंग, प्लीज मुझे माफ कर दो।  पहली मुलाकात पर तुमसे झूठ कहने के लिए और उसके बाद जब भी तुमने मेरे लिए वह नमकीन कॉफ़ी बनाई, तब तुम्हें सच न कहने के लिए, सच में, मैं बिलकुल झूठ नहीं कह रहा हूँ कि उन परिस्थितियों को छोड़कर मैं वह कॉफ़ी कभी भी नहीं पी पाता।

तुम्हें पागलों की तरह चाहने वाला

अंकित   खत पढ़ने के बाद दीपाली की आँखें छलक गई। उस दिन के बाद उसने भी नमकीन कॉफ़ी पीनी शुरू कर दी. उसे नमकीन कॉफ़ी पीते देख जब भी कोई उससे पूछता कि इसका स्वाद कैसा है, तो जवाब होता, “बहुत ही मीठा। ”

मंजू लता

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