Latest Updates

एक गीत चलो गाए

एक गीत चलो गाए जिस संग ज़िंदगी गाए

मुसर्रत हो जिसमें इतनी कि मन झुम जाए

सिमट दे जो हर ग़मों को इक नगण्य बिंदु में

दर्द हो चाहे जितना भी हर कोई भूल जाए

एक गीत चलो गाए जिस संग ज़िंदगी गाए।

मुरझाईं रुखसारों की हर कलियाँ खिल उठे

मौन होंठों पे फिर से हँसी हाँ गुनगुनाने लगे

घुल जाए दिलों के दरमियाँ जो भी हैं दूरियाँ

भूल कर सभी रंजिशों को सब एक हो जाए

एक गीत चलो गाए जिस संग ज़िंदगी गाए।

न रहे गिला कोई गर कल हम बिछड़ जाए

आओ हर पलों में भरी ज़िंदगी को जी जाए

मिट रहीं हैं सांसें, घिस रहा ये चंदन सा बदन

मिलके इस सफ़र को चलो यादगार कर जाए

एक गीत चलो गाए जिस संग ज़िंदगी गाए।

© रविन्द्र कुमार भारती

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *