Latest Updates

कविता- कलुषित विचार

कलुषित विचारों का हो यदि माली

कैसे बगिया महकेगी

कैसे कोई नन्ही चिड़िया चहकेगी?

भावों की अशुद्धियां

अंतर्मन पर अधिकार किये

कैसे दिव्य देशना बसेगी

आखिर कैसे बगिया महकेगी?

खाद पानी नहीं है केवल

बिन मौसम बरसात कभी

जब तक संयमित ना हो माली

आखिर कैसे बगिया महकेगी?

बातों से नहीं सीचीं जाती जड़ें गहराई तक

स्वच्छ आवो-हवा भी होनी चाहिए

हवा अशुद्धि जब तक ना जाने माली

आखिर कैसे बगिया महकेगी?

लेखिका- जयति जैन “नूतन”, भोपाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *