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चूड़ी की आवाजो का संगीत सुनाना देखा है ,

चूड़ी की आवाजो का संगीत सुनाना देखा है ,

चलने फिरने पर पायल का, वो राग भी गाना देखा है,

बड़े बुजुर्गों की बातें ,जब घर मे मानी जाती थीं ,

हाँ इन आँखों ने साक्षात अदबो का जमाना देखा है !

जब लोग खड़े हो जाते थे, बूढ़ो को आदर देने को ,

सब मिलकर के जुड़ जाते थे ,बहनो को विदाई देने को,

दूजो की खुशी में खुश होता ,गांवो का जमाना देखा है ,

हाँ इन आँखों ने बेमतलब ख़ाली सा सिरहाना देखा है!

जब नानी लोरी गाती थीं ,कमर भी खुजवाई जाती थीं,

सब मिलकर सोये इस खातिर, चादर बिछवाई जाती थीं ,

गर्मी की छुट्टी में मामा के घर पर जाना देखा है ,

हाँ इन आँखों ने सुंदर सा वो दौर सुहाना देखा है !

छत पर जाकर हमने देखे हैं ,सप्तऋषि प्यारे प्यारे ,

अर्धरात्रि जग जग कर देखे हमने कई ध्रुव तारे ,

बादल के छायाचित्रो में ,देवो का घराना देखा है ,

हाँ इन आँखों ने साक्षात अदबो का जमाना देखा है !

मल्हार सुनाना बादल का ,वो छटा सुहानी बारिश की,

कोयल की प्यारी सी बोली ,वो चिड़िया की सुंदर टोली,

वो ठंड में लकड़ी का जलना ,सावन का आना देखा है ,

हाँ इन आँखों ने मौसम का वो लुफ्त पुराना देखा है!

कुछ ऐसा भी देखा कविवर , अरुण ने अपनी आँखो से ,

जटिल समस्या से लड़ते थे, केवल तब जज्बातो से ,

दूजे के गम में अनवरत आंसू ,आंख में आता देखा है ,

हाँ इन आँखो ने जन्नत का, धरती पर आना देखा है ,

हाँ इन आँखों ने साक्षात अदबो का जमाना देखा है !

अरुण शर्मा

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