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द्वि-दिवसीयअखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन 2023

महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में

द्विदिवसीयअखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन 2023

द्वितीय दिवस

महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में द्विदिवसीयअखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन 2023 का आयोजन सी सुब्रमण्यम हॉल, पूसा संस्थान; नई दिल्ली में किया जा रहा है। प्रस्तुत कार्यक्रम का आयोजन विश्ववेद परिषद्, परमार्थ निकेतन, कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्रालय भारत सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में किया जा रहा है। सम्मेलन के प्रथम दिवस वेदों में वैज्ञानिक तथ्यों को आधार बनाते हुए विविध विषयों पर 40 से अधिक शोधपत्रों का वाचन किया गया।

सम्मेलन के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र का विषय रहा ‘महिला सशक्तिकरण वैदिक चिन्तन के सन्दर्भ में’ एवं “युग निर्माता महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में’प्रस्तुत सत्र का सञ्चालन आचार्य प्रेमपाल शास्त्री (अध्यक्ष, पुरोहित सभा) द्वारा किया गया विभिन्न विद्वानों ने अपने वक्तव्य रखे यथा श्री मति पवित्रा (प्राचार्या, कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, सासनी), डॉ. सत्यकाम शर्मा वेदालंकार, प्रो. विठ्ठलराव (महामंत्री, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा), डॉ. रचना विमल (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. विजय कर्ण (नालन्दा विश्वविद्यालय, श्री अशोक आर्य (पूर्व कमिश्नर), श्री धर्मपाल आर्य, । सत्रांत में अध्यक्ष स्वामी प्रणवानंद सरस्वती (आचार्य, गुरुकुल गौतम नगर, दिल्ली) सभा को संबोधित किया एवं स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के सहयोग पर आभार प्रकट किया।मन की बात के प्रसारण के पश्चात वैकुंठ app को लॉन्च किया गया।

सम्मेलन के मध्याहन में मन की बात कार्यक्रम के १०० सत्रों की सम्पूर्णता के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के १०० सत्र के वक्तव्य का सीधा प्रसारण किया गया।मन की बात के प्रसारण के पश्चात वैकुंठ app को लॉन्च किया गया। 

दिनाँक30/04/2023

द्वितीय दिवस

समापन सत्र

सत्र का प्रारंभ श्री रामनाथ कोविन्द के आगमन के पश्चात वैदिक यज्ञ से हुआ। मञ्च आगमन के उपरांत राष्ट्रगान, कन्या गुरुकुल महाविद्यालय(वेद संस्थान) की छात्राओं द्वारा वैदिक मंगलाचरण के रूप में अग्नि सूक्त का वाचन किया गया तत्पश्चात साथ दीप प्रज्वलन हुआ हैं।

स्वागत वक्तव्य उद्बोधन ‘श्री वेद प्रकाश टंडन

समस्त विश्व को अपने मूल की तरफ लौटने की आवश्यकता है। ऐसे सम्मेलनों के माध्यम से वेदों का संदेश जन-जन तक पहुचेगा। वेदों का ज्ञान हमारे विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी पढ़ाया जाए। मुख्य अतिथि का स्वागत अध्यक्षस्वामी चिदानंद सरस्वती एवं अन्य विद्वतगणों द्वारा किया गया।

वक्तव्य स्वामी चिदानंद सरस्वती

उपनिषद वाक्य से अपने वक्तव्य का प्रारंभ किया एवं विधि आयोग के न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी जी स्वागत करते हुए, प्रधान मंत्री जी का संकल्प एवं योगी जी का प्रसाद कुम्भपर्व के महत्त्व पर प्रकाश डाले। उसके बाद बापू की कथा पर राष्ट्र को दिशा देने वाल उद्बोधन स्पष्ट दिया। कुम्भ के मेले से प्रधानमंत्री जी ने आरती को समस्त विश्व ने दर्शन किया। इस समय भारत में संस्कारी सरकार है। युवाओं को एक दिशा चाहिए-स्किल इंडिया डिजिटल इंडिया के साथ डिवाइन इंडिया तक बढ़ना है तो यह केवल वेदों के ज्ञान से संभव है। इन्होंने ये कहा की सब सेट है परंतु लोग अप्सेट है। इसके लिए उन्हें वेद की शरण में आना होगा। वेद केवल किताब नहीं पूरे जीवन का हिसाब है। नियम सरकार से मिल सकते है लाइफ में रेवलूशन लाने के लिए वेद चाहिए। अब मेडिटेशन इन लाइफ से काम चलेगा उसी से भीतर के युद्ध समाप्त हो सकते है। आत्मा निरीक्षण से अपनी संध्या को विराम दो। साइंस आपको बता सकती है किन्तु जीवन को बढ़िया बनाना वेद सिखाता है। युवाओं को कहता हूँ तंग इंडिया मत बनो। टाइम मेनेगमेंट और हटे स्पेयच नहीं हार्ट स्पीच की जरूरत हैं। टाइम tung एवं व्यावहारिक मनेगमेंट वेद सिखाता है। प्रधानमंत्री मन की बात बेटीओं की मुस्कान—-, गरीबों की थाली आज ग्लोबल थाली बन गई यही वेद है। वेद में सब है। अपनी ओर लोटो अपनी संस्कृति की ओर लोटो। आज वैदिक pediaसबके पास होना चाहिए। जिससे जिसको जहाँ जो दृष्टि चाहिए वह लोग वैदिक pedia  पर जाए। वेदों की ओर जाए। यह मन्त्र दिया गया।

विशिष्ट अतिथि वक्तव्य श्री राम लाल जी

१२०० वर्षों में भारत में अनेक उतार चढ़ाव आए। संघर्ष का इतिहास है-भारत का। आजादी से पूर्व जिनका राज रहा उन्होंने चतुराई से भारत के मानस को बदलने की कोशिश की। भारत में हीन भावना भरने का प्रयास किया। जो कुछ भारत में अच्छा है दुनिया को जिससे ज्ञान मिल है वह सब २५० वर्षों में उपेक्षित रह गई। कोरोना ने हमें कष्ट दिए उसके बाद विश्व के मानस में परिवर्तन आया है। एक विश्वास बना है कि भारत की जीवन शैली वेद हमें सुरक्षित रख सकती है। भारत की क्षमताओं से दुनिया प्रभावित हुई है। दुनिया के लोगों से जो चर्चा होती है। उससे देखा जा सकता है की भविष्य में भारत दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। अतः मार्गदर्शन लायक भारत बनाना यह चिंता हमें करनी है। वेद को न केवल जानना उसे जीना भी है शायद दस साल भी न लगे उससे पहले ही भारत मार्गदर्शन करे। वेद वाई-फाई का पासवर्ड है। वेदों की अनुभूति करे उनको समझने का प्रयास करें। वेद को सब तक पहुचाने की क्या व्यवस्था हो सकती है इस पर विचार हो रहा है। वेदों में ईश्वर की वाणी, सनातन धर्म के आधार स्तम्भ है।

मुख्य अतिथि का वक्तव्य: श्री रामनाथ कोविन्द

पहले आयोजन की तीथी ८ अप्रेल दी गई थी लेकिन संयोग देखिए की तिथि बदली गई। मेरा आना संभव नहीं था परंतु परिस्थिति ऐसी बनी की मुझे आना पड़ा। मेरी दृष्टि में सम्मेलन में उपस्थित होना आवश्यक था। यह हम सबके लिए गर्व का विषय भारतीय संस्कृति का मूल जिन्हें हम वेद कहते है। ये सनातन धर्म की विशेषता है की हमारी संस्कृति आज भी वैसी है। कठोपानीषद् के वाक्य को उद्धृत किया- उतिष्ठत जाग्रत प्राप्य.. वेद वैदिक परंपरा का मूल है। ये कहना अनुचित नहीं होगा की वेद उपनिषद संहिता आज के सन्दर्भ में वर्तमान राज्य संरचना में महत्त्वपूर्ण है। देश का आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद् को उद्धृत किया। सत्य आरम्भ से केंद्र बिन्दु है- यथा रावण पर राम की विजय दशहरा पर्व के रूप में मनाया जाता है। महाभारत में कौरवों की सेना पर पांडवों की विजय को सत्य की असत्य पर विजय बताया गया। महात्मा गाँधी जिन्हें सत्य का उपासक मन जाता है- सत्य को ईश्वर कहा।

भारत की त्रासदी में हम प्रकृति में बहुत करीब रहें। हम लोग फिर भी बचे हुए हैं।  आज भी मैं बार-बार कहता हूँ- प्रकृति के साथ रहकर मिलकर चलगें उतने हम सुरक्षित रहेगे। वेद हमारा सदैव मार्गदर्शन करते है। कई कार्यक्रमों में मुझे यह सुनने के लिए मिलता है की भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में है। मैं सुनता रहता हूँ- एक बार मैने यह विश्लेषण किया की विश्वगुरु की कल्पना क्या है।  समस्त विश्व की सरकार का सञ्चालन भारत से होगा? विश्वगुरु की बात करते हो तो क्या चाहते हो तब यह बात उभरकर आयी की  भारत जो कहे वो समस्त विश्व माने इस पक्ष पर विश्व गुरु की अवधारणा हैं। सभी सरकारों ने अपने स्तर पर विकास के कार्य की है। भारत के विश्वगुरु बनने का सच्चा अर्थ है की भारत समस्त विश्व का मार्गदर्शन करें और यह मार्गदर्शन भारत ने किया है जिसका साक्षात उदाहरण कोरोना काल में भारत का विश्व में योगदान, समस्त विश्व का योग को स्वीकार करना, G20 इत्यादि रहें है। अतः भारत को विश्वगुरु बनना नहीं है भारत विश्वगुरु है। कोविन्द जी ने अपने क्यूबा के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा योगा के अनुभव को सभा के समक्ष साझा की।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देवेश प्रकाश

तदुपरांत विविध विद्वानों द्वारा सम्मेलन विषय से संबंधित अपने-अपने व्यक्तव्य सभा के समक्ष रखें तथा राष्ट्रगान से सम्मेलन के प्रथम सत्र का समापन हुआ। इस सम्पूर्ण वैदिक सम्मेलन के संयोजक एवं मञ्च सञ्चालन  प्रो० धमेन्द्र शास्त्री एवं डॉ० देवेश प्रकाश के द्वारा सम्पन्न किया गया।

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