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योग की महत्वता— योग दिवस—– प्रवीण बहल

सारे विश्व में हर व्यक्ति के जीवन में– योग का महत्व बढ़ गया है– अगर हम 50 वर्ष पीछे चले जाएं तो हमें याद होगा कि हर स्कूल में पढ़ाई शुरू होने से पहले पी टी हुआ करती थी– महत्व था शरीर को चुस्त बनाना– आज यह— अध्ययन के विषय में आ गया– जब से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मानता दी है– इस संसार में बढ़ गया है– हर वर्ष एक योग दिवस मनाया जाता है आज हमारा देश ही नहीं– बल्कि विश्व के अधिकांश देश इसके महत्व को समझ चुके हैं और प्रतिदिन कुछ समय देकर– योग की अनेक वीडियो से योग को किया जाता है– क्योंकि हर व्यक्ति को इसकी जानकारी हो चुकी है और हर व्यक्ति अपने शरीर को चुस्त रखना चाहता है– यह जरूरी है– इसके करने से थकान कम होती है– दिमाग को राहत मिलती है– कई परेशानियां दूर होती है– मैं तो जहां तक करूंगा कि व्यक्ति के आचरण में भी फर्क आता है– आज हमारे देश में इस प्रकार के चिकित्सालय भी बन गए हैं— इस से अनेक बीमारियों का उपचार भी किया जाता है– शिक्षा का एक भाग बन चुका है- स्कूल कॉलेज में– अध्ययन भी होता है– इसके महत्व को समझाने के लिए समय-समय पर सेमिनार लगाए जाते हैं– देश में- विदेशों में इसका महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है– बढ़ रहा है– क्योंकि एक तो इसका महत्व समझ आ रहा है– दूसरा युग में चले जाए तो व्यक्ति विशेष को– जरूरी लाभ पहुंच रहा है– इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं है– कोई हानि नहीं है– यह एक योग है= व्यक्ति के हर अंग को मजबूत करता है– कार्य करने की क्षमता है– ऋषि मुनि इसके महत्व को समझते थे पिछले युग में चले  जाए तो भी  व्यक्ति किसी न किसी रूप– शरीर में या शरीर को संतुलित रखने के लिए– अनेक प्रतिक्रियाओं को सरिता आ रहा है– बस मैं तो- मैं तो इतना चाहूंगा कि व्यक्ति के जीवन में योग एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है– सुबह समय निकाल इस योग को कम से कम आधा घंटा किया जाना चाहिए.

योग की प्रतिक्रिया

मैं तंदुरुस्त–

क्योंकि मैं योग करता हूं

इसका महत्व- मैं समझता हूं

मुझे कई बीमारियों का इलाज मिल गया है

इसके महत्व को समझने के लिए–

संयुक्त राष्ट्र- संघ ने- एक दिन योग को

मान्यता प्रदान की है—

अब तो क्या– सारा संसार—

इसके महत्व को समझ चुका है

यह शिक्षा – किसका अध्ययन किया जाता है

जगह-2 केंद्र भी खुल चुके हैं–

इससे व्यक्ति विशेष के जीवन में-

खुशहाली की बहार आई है–

इससे व्यक्ति की विचारधारा भी बदली है

आचरण में भी सुधार हुआ है–

चिड़चिड़ापन- व्यायाम करने से-

दूर हो रहा है–

जहां नींद नहीं आती—-

नींद भी आने लगी है—

इसका जन्म– समय पूर्व  था

पर बहुत अलग- अलग था

आज रूप बदल गया है– विस्तार हुआ है

शरीर के अंगों के हर पहलू पर

हर व्यक्ति को ज्ञान मिला है

जिंदगी खुशहाल जीना है तो

व्यायाम करो– योग करो– जिंदगी जियो

प्रवीण बहल

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