Latest Updates

क्या होगा चीन का अगला कदम?

पिछले कुछ दिनो से चीन और भारत के बीच जिस तरह की स्थिति बनी हुई है उसे देख कर ऐसा लगता है कि मामला काफी संवेदनशील है और कभी भी कुछ भी हो सकता है। जिस तरीके से चीन अपनी आक्रमक्ता भारत को दिखा रहा है और दुनिया को ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि अगर युद्ध हुआ तो वो इसे अपने पक्ष में कर लेगा, तो ये उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। सच तो यह है कि कही न कही चीन भी ये बात जनता है कि अगर उसने युद्ध लड़ा तो उसकी तबाही निश्चित हैं। आइये
उन कारणों की चर्चा करते है जो ये सिद्ध करते है कि अगर युद्ध हुआ तो बेशक चीन की तबाही तय है।
चीन का सीमा विवाद सिर्फ भारत से नही बल्कि और भी कई पड़ोसी देशो से है, जिसमे जापान, रुस, वियतनाम, हांगकांग, तिब्बत, फिलीपीन्स, ताइवान, नार्थ कोरिया, साउथ कोरिया, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, ब्रूनी, लाओस, कंबोडिया, कर्जयस्तान, मलेशिया, मंगोलिया और कज़ाकिस्तान शामिल है। हां ये बात जरूर है कि इसमें नार्थ कोरिया और नेपाल के साथ चीन के अभी अच्छे रिश्ते है पर ये रिश्ते सिर्फ फायदे के लिए है, नार्थ कोरिया से अच्छे रिश्ते चीन ने अमेरिका को काउंटर करने के लिए बनाए है और नेपाल से अच्छे रिश्ते भारत को काउंटर करने के लिए।
पाकिस्तान से भी चीन ने मित्रता इसलिए की है ताकि भारत के खिलाफ उसका इस्तेमाल कर सके।
और अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान, नेपाल और नार्थ कोरिया को छोड़ कर बाकी सभी देश चीन से अपनी विवादित जमीन वापस लेने के लिए भारत का साथ दे सकते हैं क्योंकि इससे अच्छा मौका इन देशो को फिर कभी नही मिलेगा।
खास कर के ताइवान, तिब्बत, जापान और हांगकांग को इस दिन का बेसब्री से इंतेज़ार हैं।

युद्ध इस बार भारत से हैं।
अगर आज की बात करे तो लगभग 1.4 मिलियन सैनिकों के साथ, भारतीय सेना चीन से आगे निकलते हुए, दुनिया की सबसे बड़ी जमीनी ताकत बन गई है और अगर युद्ध चरम सीमा पर पहुचता है तो चीन को अपनी ज्यादातर सेना भारत के खिलाफ बॉर्डर पे तैनात करनी होगी जिसका फायदा ताइवान, जापान, हांगकांग और तिब्बत जरूर उठाने की कोशिश करेंगे जो चीन के लिए अच्छी खबर नही हैं।
रूस का साथ चीन को न मिलना। मौजूदा हालात में चीन को रूस का साथ मिलना जरा मुश्किल नज़र आ रहा हैं, अगर युद्ध हुआ तो जाहिर सी बात हैं भारत और चीन दोनों के मित्र देश उनका साथ देंगे। अगर चीन के मित्र देश की बात करे तो पाकिस्तान, नेपाल और नार्थ कोरिया को छोड़ के कोई और देश उसका साथ देता दिखाई नही दे रहा, हां इस बात के जरूर कयास लगाए जा रहे है कि शायद रूस चीन का साथ दे, ये सच बात है कि रूस चीन का बहुत अच्छा मित्र है, अगर चीन का किसी के साथ युद्ध हुआ तो रूस जरूर चीन का साथ देगा पर गौर करने वाली बात ये है कि इस बार युद्ध भारत से है और आपको बता दें रूस भारत को सैन्य उपकरणों की सबसे ज्यादा आपूर्ति करता है, जिसके बाद इजरायल और फ्रांस हैं। और एक खबर भी आ रही है कि भारत ने रूस से 33 और फाइटर जेट मांगा है जिसे रूस ने मान लिया हैं, अगर रूस भारत के खिलाफ होता तो भारत की इस मांग को कभी पूरा नही करता खास कर के इन हालातों में जब पूरी दुनिया जानती हैं कि भारत इन फाइटर जेट का इस्तेमाल चीन के खिलाफ ही करेगा।
रूस को इस बात का भी डर है कि अगर वो भारत के खिलाफ गया तो भारत पूरी तरीके से अमेरिकन खेमे में चला जायेगा और आने वाले समय में अपने सैन्य उपकरणों की पूर्ति के लिए अमेरिका का रुख कर लेगा, जो रूस कभी नही चाहेगा।
जहां तक भारत के मित्र देशो की बात है, कतार काफी लंबी हैं। जहां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, फ्रांस, ब्रिटैन, जापान,ताइवान और भी कई देश भारत के पक्ष में खुल कर सामने आ रहे है वही दूसरी तरफ अमेरिका के कारण नाटो देश भी खुल कर भारत का समर्थन कर सकते हैं।

चीनी सेना को पहाड़ो में युद्ध का अनुभव न होना।
पूरी विश्व मे पहाड़ो में लड़ने के लिए भारत की सेना सबसे माहिर और ताक़तवर मानी जाती हैं जिसका नमूना हमने 1967 मे नाथुला पास मे देखा था जब भारत की सेना ने चीनी सैनिक के 500 से ज्यादा सैनिक मार गिराए थे और चीन की सेना उल्टे पैर भाग खड़ी हुई थी। जहां तक चीन की बात है तो उसने आज तक कोई बड़े युद्ध नही जीते है। 1962 में भारत की सेना ने हार नही माना था बल्कि सरकार ने ही सेना को वापस बुला लिया था, वो सेना की नही सरकार की हार थी।

भारत के लोगो मे चीन के खिलाफ बढ़ती नफरत।
60 से ज्यादा देश चीन से सारे व्यपारिक संबंध समाप्त करने की बात कर चुके है और भारत ने तो एक्शन लेना भी शुरु कर दिया हैं जिसके मद्देनज़र रेलवे ने एक चीनी कंपनी को दिए 471 करोड़ का अनुबंध रद्द कर दिया हैं। भारत मे चीनी सामानों का विरोध अपनी चरमसीमा पर हैं, गलवान घाटी में हमारे 20 जवानों के शहीद होने की खबर ने लोगो के गुस्से को और ज्यादा बढ़ाया हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो चीन को आर्थिक तौर पर काफी नुक्सान झेलना पड़ सकता हैं और इस बात से चीन काफी परेशान चल रहा हैं। अब तो समय ही बतायेगा की चीन का अगला कदम क्या होगा?

सोनल सिन्हा
मुंबई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *